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(१) रंक जले राजा जले, कौन सका है भाग |
सबके अंदर खौलती, एक क्षुधा की आग ||

(२) ज्वाल क्षुधा में वो भरी, कहीं न ऐसा ताप |
जल के जिसमें आदमी, कर जाता है पाप ||

(३) भूख बड़ी बलवान है, ना लेने दे चैन |
दौड़ें सब इसके लिए, दिन हो चाहे रैन ||

(४) जो नहिं होती भूख तो, सच कहता हूँ मीत |
निर्भय नर जीता यहाँ, नहिं होता भयभीत ||

(५) भूखा मन कमजोर है, बेबस औ लाचार |
भूल चले कर्तव्य को, याद नहीं अधिकार ||

(६) भूख दिखाए वो घड़ी, देती वो संताप |
माता बेचे पूत को, गरदन काटे भ्रात ||

(७) भूख लगाए वो अनल, फूँके सब की लाज |
चौराहों पर बेटियाँ, बेच रहीं तन आज ||

(८) भूख दबाए साँच को, बुलवाती है झूठ |
इसका मारा आदमी, खुद से जाता रूठ ||

(९) छीन मिटाए भूख जो, कहलाता है चोर |
नैना ताके सामने, मन देखे चहुँओर ||

(१०) भूख कहे याचक बने, लेवे खुद को मार |
राह निहारे आस में, कौन करे उपकार ||

(११) भूख कराए चाकरी, खाए कोड़े चाम |
सिर पर मैला बोझ के, दिलवाए कम दाम ||

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 27, 2012 at 1:52pm

आदरणीय रक्ताले सर......सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.......

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 25, 2012 at 11:13pm

भूख कराए चाकरी, खाए कोड़े चाम |
सिर पर मैला बोझ के, दिलवाए कम दाम ||

बहुत सुन्दर दोहे कुछ कुछ तो अति उत्तम, बधाई.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 24, 2012 at 11:16am

आदरणीय कुशवाहा सर......सराहना के लिए आपका दिल से आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 24, 2012 at 11:15am

आदरणीय अग्रज अम्बरीश जी, दोहे पसंद करने के लिए तथा दोहे के सम्बन्ध में एक और मूल्यवान तकनीकी जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद........स्नेह बनाए रखियेगा.......

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 24, 2012 at 10:06am

मरता क्या न करता.

बहुत सुन्दर दोहे के माध्यम से विचारों का सम्प्रेषण. बधाई.  स्नेही कुमार जी, सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 9:07am

//जो नहिं होती भूख तो, सच कहता हूँ मीत |
निर्भय नर जीता यहाँ, नहिं होता भयभीत ||

भूख कराए चाकरी, खाए कोड़े चाम |
सिर पर मैला बोझ के, दिलवाए कम दाम ||//

सुन्दर दोहे सब रचे, भाव भूख की मार.

बहुत बधाई लीजिए, गौरव, अनुज, कुमार ..

//भूख बड़ी बलवान है, ना लेने दे चैन |//     विद्वानों के अनुसार दोहे में 'ना' शब्द से बचना चाहिए ...इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं

भूख बड़ी बलवान है, लेने दे नहिं चैन.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 24, 2012 at 7:13am
आदरणीया रेखा जी, प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार।
Comment by Rekha Joshi on August 23, 2012 at 11:40am

 भूख कराए चाकरी, खाए कोड़े चाम |
सिर पर मैला बोझ के, दिलवाए कम दाम ||,भूख पर सुंदर दोहे रचे है आपने गौरव जी ,बधाई 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 23, 2012 at 10:54am

स्वागत है प्रिय मित्रवर संदीप पटेल जी.....आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 23, 2012 at 10:52am

धन्यवाद बंधुवर नवल किशोर सोनी जी......आपका हार्दिक स्वागत है......

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