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ग़ज़ब था तेरा मिलाना नैना

कभी जो मैंने गुजारे थे पल
तुम्हारे दामन में दिन-ओ-रैना
हसीं वो मंजर भुला न पाया
ग़ज़ब था तेरा मिलाना नैना

दिवानापन ले भुला के खुद को
तुम्हारी चाहत को फिरता दरदर
भटकता राहों में तन्हा ऐसे
मिले न राहत मिले न चैना

जुदाई दे के चले हो मुझको
सुनो ये ताने ज़माना कसता
उड़े थे चाहत के पर से नभ में
कहाँ वो पंछी वो तोता मैना

संदीप पटेल "दीप"

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 30, 2012 at 12:59am

जुदाई दे के चले हो मुझको
सुनो ये ताने ज़माना कसता
उड़े थे चाहत के पर से नभ में
कहाँ वो पंछी वो तोता मैना

प्रिय संदीप जी ...सब उड़ जाते हैं मुक्त कभी हवाएं उड़ा ले जाती हैं गजब है जिंदगानी ..बहुत सुन्दर सन्देश  ...सुन्दर रचना  ....

अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 
जय श्री राधे 

 

Comment by ajay sharma on September 29, 2012 at 11:10pm

bahut khoob

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