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नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार

नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार 

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नाना नाना ई बतावा फिर कौनो  बात हो गई 
चेहरा काहे लटकौले नानी से मुलाक़ात हो गई 
चुप रहो नाती न बोलो पकड़ो   ई दस रुपिया
दोनों ओर आग लगावत नानी के तुम खुफिया 
------------------------------------------------------
नानी खफा बहुत हमसे ढूंढ रही वो बेला 
कौन बनाया लेखक हमको  इंटरनेट  पे ठेला
इंटरनेट  पे ठेला बैठ अनगिनत बीमारी पाई 
धेला  मिला न एक कहीं से नाहक गोली खाई 
धधा कोई और सोचते साहित्य बड़ा झमेला 
पानी बंद लौकी खाते सवेरे नित पीते  करेला   
-------------------------------------------------------
नाना देखो समय कम हो रहे तुम अब रिटायर 
बनो देश के नेता अभिनेता बेकार हैं अब शायर 
हाथ जोड़ नेता जनता में  बड़े प्रेम से   आते
पीते खून उसी जनता का लौट दुबारा  न जाते 
भरते झोली नोटन वोटन से सैर विलायत करते 
सात पीढ़ी की करते व्यवस्था हवा में डग भरते 
------------------------------------------------------
न न  नाती माफ करो मुझसे ना होगा ऐसा गोरख धंधा
जीवन सादा सचरित्र जिया पैसा देख हुआ कभी  न अंधा 
दीन दुखी मेरे हैं अपने अभी पूरे  करने शेष अधूरे सपने
भूख गरीबी बलात्कार रंग जाति  भेद के नाग लगे डसने 
प्रश्न जटिल उलझी गुत्थी  छाया चहुँ दिस घन  घोर अँधेरा 
क्या करूँ कैसे करूँ राह न सूझे  कब होगा जीवन में  सवेरा 
-----------------------------------------------------------------
सुनो ध्यान से नाना एक बात क्यों नाहक मेरा सर खाते 
करो समाज सेवा हर विधि क्यो न  साधू बाबा बन जाते 
बरसों का अनुभव तुम्हारा नीति  रही जन कल्याण कारक 
दरिद्र नारायण सेवा कर दुष्टन से रक्षा करो बन अस्त्र मारक 
--------------------------------------------------------------------
अक्टूबर ०६ , २०१२ को पिकहा बाबा लीन्ह मनुज अवतार 
जन सेवा रत इंटरनेट पे सदा मिलें  लें आशीष करें भवपार 
 

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 3:04pm

धन्यवाद आदरणीय भ्रमर जी, सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 22, 2012 at 11:58pm

हाथ जोड़ नेता जनता में  बड़े प्रेम से   आते

पीते खून उसी जनता का लौट दुबारा  न जाते 
भरते झोली नोटन वोटन से सैर विलायत करते 
सात पीढ़ी की करते व्यवस्था हवा में डग भरते 
आदरणीय कुशवाहा जी नाती की बातें गंभीर हैं ...बच्चे अब बड़े समझदार हैं आइये हम सब भी समझें जागें और कुछ न कुछ धामा चौकड़ी करते रहें ..व्यंग्य भरी अच्छी रचना 
नाती और आप को बहुत बहुत बधाई 
सस्नेह 
भ्रमर 5 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:31am

आदरणीया शालिनी जी, सादर 

आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:31am

प्रिय कुमार जी, सस्नेह 

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:30am

आदरणीय सूरज जी, सादर 

जरूर. धन्यवाद 

Comment by shalini kaushik on November 21, 2012 at 1:59am

.शानदार अभिव्यक्ति बधाई

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 20, 2012 at 6:14pm

वाह-वाह आदरणीय काकाश्री.....खूब रंग जमाया आपने.........मजा आ गया.....

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 20, 2012 at 4:54pm

आदरणीय सूरज जी, सादर 

आपकी सराहना के लिए आभार. \आपका यकीन नहीं टूटेगा. वादा है. 

पिकहा बाबा अति शीघ्र प्रेस वार्ता करने वाले हैं. 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 4:21pm

जय हो पिकहा बाबा की ! 

अच्छी  व्यंग्य पूर्ण कविता। वैसे आप जहां भी रहोगे हम लोगों को यकीन है की पिकहा बाबा की तरह जन सेवा ही करोगे। वैसे नाती ने बड़े सही धंधे का सुझाव दिया था। आजकल के बच्चे भी बिजनेस समझते हैं.....हाहाहहहहह

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...बधाई स्वीकार करें !

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