For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो जी पाओगी ..........

तुम ने कहा,

तुम जी लोगी मेरे साथ हर हाल में,

मुझे शायद इसके लिये भी,

शुक्रिया अदा करना चाहिये तुम्हारा ......

 

पर क्या तुम जानती हो,

इस कमबख्त दुनियां में

जहां कोई किसी का सगा नहीं,

हालात कैसे हो सकते है....

 

बोलो जी पाओगी,

जब दुनियां भर के थपेड़े,

बिना दरबाजा खटखटाये,

हमारे कमरे में दाखिल होंगे......

 

बोलो जी पाओगी,

जब मेरी शायरी में,

तिलमिलाएगी भूख,

नीम से कडबे स्वाद के साथ.......

 

बोलो जी पाओगी,

जब अरमानो के बिस्तरे पे,

मैं गला घोटूंगा ख्वाबों का, 

जिम्मेदारयों सी सौतनो के साथ........

 

बोलो जी पाओगी,

जब रंगीनियत फटजायेगी,

लपेटना होगी मजबूरियां,

और घूरेंगी निगाहें नफरत से.......

 

बोलो जी पाओगी,

जब हमेशा मजमा लगेगा,

मेरे दुःख और नाकामियो का,

और लोग मुझे कमज़र्फ कहेगें.......

 

तुम्हे पता है ना,

ये गज़ल,गीत,कहानियां

बस सुनने में ही अच्छे है

ये नहीं देगें रोटी,कपडा और मकान

वर्ना तो चचा ग़ालिब अज़ीम शहंशाह होते

 

अब बोलो जी पाओगी,

और यदि अब भी जी पाओगी.......

तो हमारी महोब्बत में,

वों सब कुछ होगा,

जो कभी नहीं हुआ....

 

सुनों,

तुम ने कहा था,

तुम महोब्बत करती हो मुझसे,

मुझे शायद इसके लिये भी,

शुक्रिया अदा करना चाहिये तुम्हारा ......

~अमितेष

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 10:26pm
शुक्रिया सौरभ जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2013 at 9:44pm

अमितेष जी, आपकी कविता अच्छी है, भाई. हालाँकि, इंगित वही हैं. दो के मध्य की परस्पर भावनाओं को न समझते हुए समाज की असंवेदना है. उससे झुंझलाता, भिड़ता और बार-बार निपटता हुआ मन है. लेकिन न हार मानने का सनातन संकल्प भी है. यह संकल्प या उसके समानान्तर दिखती हुई उम्मीद ही रचनाओं की अंतर्धार हुआ करती है.

इस रचना के लिए बधाई.

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 9:02pm

:-)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 3, 2013 at 8:25pm

हालात से ज़रूर डर सकता है व्यक्ति...सहमत हूँ 

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 7:51pm

शुक्रिया प्राची जी .......... प्यार नहीं डरता .....व्यक्ति तो डर ही सकता है ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 3, 2013 at 7:49pm

कितनी बड़ी बड़ी चुनौतियां रखी हैं सामने.. क्या फिर भी प्यार डर सकता है..

यदि नहीं तो ऐसे प्यार के लिए "शुक्रिया अदा करना चाहिये"

सपनों को मन में सजाए, यथार्थ के धरातल पर निःस्वार्थ भाव से लिखी गयी अंतर्भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई आ. अमितेश जी.

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 5:52pm

डराना ही चाहता हूँ .......राजेश जी ......शुक्रिया ........

Comment by राजेश 'मृदु' on January 3, 2013 at 5:49pm

अच्‍छे विचार को लेकर रचना आगे बढ़ी पूरी कसावट के साथ जिस हेतु आपको बधाई । कोई प्रेमी इतने सवालों के बारे में नहीं सोचता है यदि सोचे तो, हुजूर, डर जाएगा ।  बहरहाल हकीकत वही है जो आपने लिखा है

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 5:17pm

शुक्रियां विजय सर .........

Comment by vijay nikore on January 3, 2013 at 5:13pm

अमि तेष जी,

अब बोलो जी पाओगी,

और यदि अब भी जी पाओगी.......

तो हमारी महोब्बत में,

वों सब कुछ होगा,

जो कभी नहीं हुआ....

यकीनन छूने वाले भाव हैं।

बधाई।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
yesterday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service