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अब चाँद तारे ख्वाबों में आते नहीं,

अब चाँद तारे ख्वाबों में आते नहीं, 

हम भी छत पे रातों में जाते नहीं. 
 
वो जमाना था कि बातों से गुज़र थी, 
आज हम भी वैसे बतियाते नहीं . 
 
वो पुरानी धुन अभी भी याद है, 
पर हुआ है यूँ कि अब गाते नहीं. 
 
ढ़हूंती हूँ मिल भी जाता है मगर, 
चाहिए जो बस वही पाते नहीं. 
 
सीने के ये जख्म हंसते हैं कभी, 
क्या हुआ है अब कि हम रोते नहीं. 
.
- संजू शाब्दिता -
(मौलिक अप्रकाशित) 

 

Views: 1008

Comment

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Comment by sanju shabdita on June 2, 2013 at 7:02pm

respected aman ji...aapne such hi likha hai...waise mere iesh mujhe jis bhi hal me rakhte hain,,main unhin parsthiyon ko kagaz par utarne ka kam karti hun..iske atirikt aur kuchh nahin...atah is rachna ka shreya bhi main apne iesh ko hi dena chahungi...is rachna ka maan rakhne ke liye aapka phir se bahut aabhar

Comment by sanju shabdita on June 2, 2013 at 6:48pm

respected sir...itna achcha comment dene ke liye aapka bahut-bahut-bahut shukriya...mera likhna sarthak hua.

Comment by aman kumar on June 2, 2013 at 11:12am

किसी भी कवि  को पूर्णता तभी मिलती है जब वो अपने ईश्  मे  ही अपने हर्दय भाव को समर्पित कर  दे । जो आपने कर  दिया है । पूर्णता की बधाई !

Comment by sanju shabdita on May 24, 2013 at 8:23pm

respected basant ji bahut shukriya.....

Comment by बसंत नेमा on May 24, 2013 at 12:17pm

सुन्दर रचना बहुत खूब .बधाई ...

Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 7:43pm

hindi me typing ki asmarthta ke liye ak bar phir se aap sabhi respected logon se mafi chahungi...

respected meena ji,ewm respected kedia ji aapko meri rachna achchi lagi eske liye bahut-bahut shukriya.

Comment by Meena Pathak on May 23, 2013 at 6:38pm

अब चाँद तारे ख्वाबों में आते नहीं, 

हम भी छत पे रातों में जाते नहीं. 
 
वो जमाना था कि बातों से गुज़र थी, 
आज हम भी वैसे बतियाते नहीं . 

सुन्दर रचना .... बधाई आप को 
 
Comment by Kedia Chhirag on May 23, 2013 at 6:05pm

बेहद खूबसूरत रचना .....पहली से लेकर अंतिम पंक्ति तक .............

मतला विशेष रूप से बहुत ही अच्छा लगा .....सादर 

Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 1:16pm
respected vijay sir aapka bahut-bahut shukriya
Comment by विजय मिश्र on May 23, 2013 at 12:37pm
"वो पुरानी धुन अभी भी याद है,
पर हुआ है यूँ कि अब गाते नहीं. "
- गुजरे वख्त की खूबसूरत तस्वीर जो आज फकत सरमाया भर रह गया . मुझे आपकी यह रचना किसी मीठी तरन्नुम से कम नहीं लगी संजुजी , साधुवाद .

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