For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनोखा रिश्ता सास का

तपते रेगिस्तान मे पानी की बूंद जैसी,

उफनती नदी के बीच कुशल खिवैया सी ।

ससुराल मे तरसती बहू के लिए माँ सी ,

तमाम गलतियों के बीच समाधान सी ।

 

गिले शिकवे उलाहनों के बीच दुलार सी,

जीवन की डगर के घावों पर मरहम सी।

गृह वाटिका के  पुष्पों की कुशल रक्षिका सी,

आँचल मे प्यार दुलार   ममता की मूरत सी ।

 

होती ऐसी माँ के जैसी सास,

जिसका आंचल  देता छाँव।

समझ न आती जिसकी बात ,

अनबूझ पहेली सी होती सास।

                                           - अन्नपूर्णा बाजपेई

मौलिक एवं अप्रकाशित

     

 

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on June 6, 2013 at 8:57am

आदरणीय गुरू जी संभवतः असुरक्षा की भावना ने आज ये रूप दिखाया है वैसे  मै इतनी समर्थ तो नहीं कि किसी को परिभाषित कर सकूँ । सादर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2013 at 11:55pm

//अनबूझ पहेली सी होती सास//

अच्छा, एक प्रश्न मन में आया है. अनुसूया की बहुओं से पूछा गया कभी कि वे कैसी सास थीं ! सीता को गार्हस्त्य का मूल बताने वाली उच्च महिला थीं. एक समय तथाकथित शोषित अधिकारिणी होते अक्सर नयी तथाकथित शोषितों को शोषक क्यों दिखने लगती हैं ? मेरे कहे में तथ्य नहीं तंज़ देखियेगा..  :-))))

सादर

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2013 at 7:59pm

भाई राम शिरोमणि जी बहुत आभार आपका ।

 

Comment by ram shiromani pathak on June 4, 2013 at 6:35pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई////

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2013 at 8:44am

आप सभी आदरणीय बंधु जनों का हार्दिक आभार ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 4, 2013 at 1:41am
आदरणीया..अन्नपूर्णा जी,...बहुत ही सुंदर रचना" समझ न आती जिसकी बात, अनबूझ पहेली सी होती सास "...आदरणीया बहुत ही उम्दा रचना...शुभकामनायें
Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:45pm

बहुत खूब अन्नपूर्णा जी 

बहुत बहुत सुदर 

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 9:15pm

जी बहुत धन्यवाद अप सभी का ।

Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 9:02pm

होती ऐसी माँ के जैसी सास,

जिसका आंचल  देता छाँव।

समझ न आती जिसकी बात ,

अनबूझ पहेली सी होती सास।...........काश ! बहुएँ की सोच भी ऐसा हो? /सादर / कुंती

Comment by Abid ali mansoori on June 3, 2013 at 7:09pm
सुन्दर,अर्थपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकार करेँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service