For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नेता रह मत भूल में, मत-रहमत अनमोल

मत की कीमत मत लगा, जब विपदा आसन्न ।

आहत राहत चाहते, दे मुट्ठी भर अन्न ॥

आहत राहत-नीति से, रह रह रहा कराह |

अधिकारी सत्ता-तहत, रिश्वत रहे उगाह ॥

घोर-विपत आसन्न है, सकल देश है सन्न ।

सहमत क्यूँ नेता नहीं, सारा क्षेत्र विपन्न ॥

नेता रह मत भूल में, मत-रहमत अनमोल |

ले जहमत मतलब बिना, मत शामत से तोल ॥

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on July 1, 2013 at 2:22pm

अदरणीय रविकर जी कितनी सुंदर पंक्तियों मे अपने सारी व्यथा कह डाली काश आपकी ये कविता उन नेताओं तक पहुँच पाती लेकिन फिर भी शायद न उनकी अंखे खुलती और न ही कान पर जून भी रेंगती। न जाने किस मिट्टी के बने है ये नेता ।

Comment by aman kumar on July 1, 2013 at 2:01pm

आहत राहत-नीति से, रह रह रहा कराह |

अधिकारी सत्ता-तहत, रिश्वत रहे उगाह ॥

समस्या को सब्दो की माला मे पहनाकर अच्छी माला बना देते है आप ! 

Comment by DrRaaj on July 1, 2013 at 11:24am

अति सुंदर 

Comment by रविकर on July 1, 2013 at 10:44am

बहुत बहुत आभार आदरणीय / आदरणीया-

Comment by शुभांगना सिद्धि on June 30, 2013 at 8:45pm

बहुत अच्छा कहा आपने 

Comment by विजय मिश्र on June 29, 2013 at 5:31pm
इन व्यथा भरी बातों का भी इन चेतनाशून्य जीवों पर असर होगा क्या ? इन स्पष्ट चेतावनियों से भी ये बिगलित होंगे क्या ? प्रयास प्रसंशनीय है रविकरजी , ईश्वर इनमें भी मानवीयता भरें और ये जाग्रत हों .
Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:21pm

बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी रचना.....................

Comment by Dr Babban Jee on June 28, 2013 at 10:10pm

Respected Ravikar Ji

My heartiest congratulations to you for giving the voice to speechless entities. Regards

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service