For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्दों के घेरे

 घेर लेते है मुझे

किसी चिड़िया की

मानिंद आ बैठते हैं

हृदय रूपी वृक्ष द्वार पर  

कल्पनाओं की टहनी पर

फुदक फुदक कर

बनाते है नई रचनाये

गीत कवित्त कविताएं

कल्पनाओं की उड़ान

को देते हैं हर बार

नए पंख लगा बैठते  

हर बार टहनी टहनी

मेरे नए जीवन की

हर सुबह को देते

एक सूरज नया । ............ अन्न्पूर्णा बाजपेई

 

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 4, 2013 at 4:08pm

आदरणीय गुरु जी , आपका हार्दिक आभार । सच पूछिये तो मै अपनी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुद को धनी समझ लेती हूँ , क्योंकि गुरु की प्रतिक्रिया एक ऐसा धन है जो हर एक को नहीं मिलता ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 3, 2013 at 3:38pm

रचनाकर्म की प्रक्रिया सुन्दर ढंग से विवेचि हुई है.

शुभ-शुभ

Comment by annapurna bajpai on August 1, 2013 at 11:49am

adarniya mahima ji apka hardik abhar .  

Comment by MAHIMA SHREE on July 31, 2013 at 10:52pm

गीत कवित्त कविताएं

कल्पनाओं की उड़ान

को देते हैं हर बार

नए पंख लगा बैठते  

हर बार टहनी टहनी

मेरे नए जीवन की

हर सुबह को देते

एक सूरज नया ।

आदरणीया अन्नपूर्णा जी .. बहुत ही सुंदर ..मन को मोहनेवाली अभिव्यक्ति ..बहुत -२ हार्दिक  बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on July 31, 2013 at 5:58pm

आदरणीय अरुण जी , बसंत जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by बसंत नेमा on July 31, 2013 at 1:16pm

आदरणीया जी ...इतनी खुबसुरत  सुन्दर रचना के लिये  बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 31, 2013 at 12:49pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बेहद सुन्दर भाव संजोये हैं आपने इस कविता में ह्रदय से बधाई स्वीकारें इस सुन्दर रचना पर.

Comment by annapurna bajpai on July 31, 2013 at 11:52am

आदरणीय बृजेश जी , आशीष जी , जितेंद्र जी उत्साह वर्धन हेतु आप सभी का हार्दिक आभार ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 31, 2013 at 9:29am

बहुत ही सुंदर भावनाओ से ओत प्रोत पंक्तियों पर, हार्दिक बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 30, 2013 at 11:03pm

वाह, शब्दों को पंछी की उपमा देकर जीवंत कर दिया है...
बढ़िया कविता आदरणीया !
हार्दिक बधाइयाँ !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service