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दो शब्द (राम शिरोमणि पाठक)

१-सहनशीलता

उत्पीडन की क्रीडा से उत्पन्न श्रान्ति से
पिंग बने टहल रहे
अकारण ही रंज रुपी हरिका खे रहे
मोषक को पोषक कहते
वाह!सहनशीलता की पराकाष्ठा
शायद!
खुद को काकोदर के मुख में फसा
मंडूक मान बैठे है

२-लिखता रहा

हृदयतल के तड़ाग से
अनकहे शब्द
अकुलाहट के साथ
बुलबुले बन
निकलते रहे निकलते रहे
पीड़ा है क्या ? नहीं तो
प्रेम है
विरह है
पता नहीं
फिर भी मै
निरंतर लिखता रहा लिखता रहा

३-स्वप्न

उनके होने का आभाष  
मुझपे जादू सा करे
धीरे धीरे धीरे धीरे
मेरे हृदयाकाश  पे
प्रेम रुपी मेघों का आवरण
मै रात्रि मोह से ग्रसित
मधुर स्वप्नों में खो गया


राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:33pm

आदरणीय विजय  निकोर जी बहुत बहुत आभार //सादर 

Comment by vijay nikore on August 20, 2013 at 2:28pm

//हृदयतल के तड़ाग से
अनकहे शब्द
अकुलाहट के साथ
बुलबुले बन
निकलते रहे निकलते रहे
पीड़ा है क्या ? नहीं तो
प्रेम है
विरह है
पता नहीं
फिर भी मै
निरंतर लिखता रहा लिखता रहा//

जुलाई में सफ़र के कारण काफ़ी समय ओ.ब.ओ. से दूर होने के नाते यह

रचना अभी पढ़ी। अच्छी लिखी है, आदरणीय राम जी। बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on August 4, 2013 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मन जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 4, 2013 at 1:56pm

आभास को आभाष जानबूझ कर किया है आपने या यह अशुद्धि है ?/////////टंकण अशुद्धि है आदरणीय

शब्दकोश कब लिया ? ////// नियमित शब्दकोष याद कर रहा हूँ  साथ साथ उनका प्रयोग भी ///

आशा है आपका अमूल्य सुझाव मिलता रहगे //हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी  //सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 3:35pm

अपने अंतर्मन में उठते सुन्दर भावों की प्रस्तुति के लिए बधाई श्री राम शिरोमणि पाठक जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 3:23pm

प्रयासरत हैं आप यह आपकी संभावनाओं के प्रति आशा बलवती रखता है.

यों, शब्दकोश कब लिया ?  शब्दों के साथ उनकी डिग्री पर भी ध्यान दीजियेगा.

आभास को आभाष जानबूझ कर किया है आपने या यह अशुद्धि है ?

शुभ-शुभ

Comment by ram shiromani pathak on July 30, 2013 at 10:32pm

hardik aabhar bhai rajesh kumaar jha ji//saadar

Comment by राजेश 'मृदु' on July 30, 2013 at 2:45pm

सुंदर, बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति बंधुवर

Comment by ram shiromani pathak on July 30, 2013 at 1:55pm

hardik aabhar aarneey bhai arun sharma ji///saadar

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 11:55am

वाह अनुज अतुकांत पर बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है दिल खुश हुआ हार्दिक बधाई स्वीकारें सही शब्द आभास होता है न कि आभाष.

कृपया ध्यान दे...

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