For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल लगाने की हिमाक़त हो रही

२ १ २ २    २ १ २ २     २ १ २

रुक्न --फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन

बह्र --रमल मुसद्दस महजूफ

 

 

पत्थरों से ज्यों मुहब्बत हो रही

गुगुनाने को तबीयत हो रही

 

रोज करते थे  परेशाँ फूल को

आज भँवरों से अदावत हो रही

 

क्यों लुभाते हैं नज़ारे ये मुझे

दिल लगाने की हिमाक़त हो रही

 

घात में बैठे हैं लेकर कैंचियाँ

तितलियों को ये शिकायत हो रही

 

मैं डुबा दूँ नफरतों की कश्तियाँ

होंसलों की बस जरूरत हो रही

 

सब पले  इक ही नदी के दूध से 

भाइयों में क्यों बगावत हो रही

 

यूँ गिराया है मेरा शीशा- ए- दिल

बस बिखरने की गनीमत हो रही

 

उड़ चुकी हैं हसरतों की धज्जियाँ

प्यार की सच्ची कहावत हो रही

 

रहमतों के बोझ से जो झुक गए

बदगुमा उनकी शराफ़त हो रही

 

'राज' रुपये  की कहाँ कीमत बची 

देश भर में ये नसीहत हो रही

******************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 4, 2014 at 10:04pm

जितेन्द्र भैया ,प्रतिक्रिया इतनी देर से देखने का खेद है|आपका तहे दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 4, 2014 at 10:01pm

आ० वीनस जी ,आज अरसे बाद अचानक अपनी इस पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया देखकर रुक गई इतना लेट देखने के लिए खेद है |ग़ज़ल पर आपकी तारीफ पाकर अभिभूत हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 23, 2013 at 10:39am

आदरणीय शिज्जू शकूर जी बहुत बहुत आभारी हूँ इस और ध्यान आकर्षित करने के लिए सच में दिए तले  अँधेरा वाली बात हो गई ,मैं ओ बी ओ को इसी लिए पसंद करती हूँ की आप जैसे जागरूक पाठक मिलते हैं और अपनी त्रुटिओं का भान होता है तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 23, 2013 at 9:18am

आदरणीया राज दीदी मै मक्ते में तकाबुले रदीफ की बात कर रहा हूँ,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:20pm

आदरणीय शिज्जू   जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई  मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ ,हाँ मक्ते में यदि आपका इशारा राज के नुक्ते से है तो ये मेरा तखल्लुस है इसमें नुक्ता नहीं है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:17pm

प्रिय महिमा श्री   जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई  मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:16pm

प्रिय प्राची जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई ग़ज़ल धन्य हुई इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:15pm

आदरणीया  विजय श्री  जी  ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:14pm

आदरणीय विजय निकोर जी  ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:13pm

प्रिय अरुन शर्मा जी ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली दिल से आभारी हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह वा , आदरणीय लक्ष्मण भाई बढ़िया ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
16 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय आजी भाई उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. सुरेन्द्र भाई "
29 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
29 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आभार आ. गिरिराज जी "
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
9 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
9 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service