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रसिया- - आज होली मनाओ रे रसिया

रसिया       

आज होली मनाओ रे रसिया

रंग में भीग जाओ रे रसिया  

दिल से दिल को मिलाओ रे रसिया 

दुश्मनी भूल जाओ रे रसिया.

 आज होली मनाओ रे रसिया........

मस्तों की रंग - भंग है टोली 

नैनों से मारे रंगों की गोली 

छोड शर्मो हया मेरे हमजोली 

आओ खेलेंगे मिल के हम होली...

दोस्तों को मिलाओ रे रसिया ..

प्यार दिल से जगाओ रे रसिया..

आज होली मनाओ रे रसिया..

रंग में भीग जाओ रे रसिया.......

डांस करके दिखाओ रे रसिया

लटके-झटके दिखाओ रे रसिया

नैंनों के तीरों से जो पकडा है, 

दूर हटके दिखाओ रे रसिया....

आज होली मनाओ रे रसिया..

रंग में भीग जाओ रे रसिया....

एक पल साथ आओ रे रसिया 

दूरियों को मिटाओ रे रसिया 

दुनियां को भूल जाओ रे रसिया 

रंग ऐसा उडाओ रे रसिया  

आज होली मनाओ रे रसिया  

रंग में भीग जाओ रे रसिया.....

कोई छोटा - बडा नहीं होता

हम सही होते कोई न रोता

हमसफ़र मुफ़्लिसों के बन जाओ,

सबसे पहले खुद को समझाओ 

मुफ़्लिसों को उठाओ रे रसिया..

आ गले से लगाओ रे रसिया...

आज होली मनाओ रे रसिया....

मौलिक व अप्रकाशित गीत

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Comment

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Comment by सूबे सिंह सुजान on March 16, 2014 at 10:48pm

 विजय मिश्र,  जी ,आपका धन्यवाद। 

आपने हृदय को प्रसन्नता प्रदान की है। आपकी दाद सिर माथे, 

आपको होली के पर्व की हृादिक शुभकामनायें

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 16, 2014 at 10:45pm

Madan Mohan saxena,जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया........होली पर आपको शुभकामनायें

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 14, 2014 at 10:39pm

rajesh kumari. जी आभार , आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 14, 2014 at 10:38pm

 Neeraj Kumar 'Neer' जी बहुत बहुत आभार..................नमस्कार.....होली की रंगत लेते चलो

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 14, 2014 at 10:36pm

Omprakash Kshatriya,नमस्कार, जी, टिप्ण्णी के लिये आभार

होली की बधाई

Comment by विजय मिश्र on March 14, 2014 at 1:38pm
सुजान भाई ! जोगीरा का लय देते हुए पूरे फगुनहट में रंग गए हैं | हाँ ,इन पंक्तियों में आपके दिल की बात बाहर आयी है |इन शब्दों केलिए मैं आपको आदर और सम्मान देता हूँ |आपको सपरिवार होली की शुभकामना |

"कोई छोटा - बडा नहीं होता
हम सही होते कोई न रोता
हमसफ़र मुफ़्लिसों के बन जाओ,
सबसे पहले खुद को समझाओ
मुफ़्लिसों को उठाओ रे रसिया..
आ गले से लगाओ रे रसिया...
Comment by Madan Mohan saxena on March 13, 2014 at 5:00pm
होली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाऐ .

ना शिकबा अब रहे कोई , ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओं सब, आयी आज होली है

प्रियतम क्या प्रिया क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
चलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .

मदन मोहन सक्सेना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 11:45am

होली की अद्दभुत छटा बिखेरी है गीत में वाह ..होली की अग्रिम व् रचना की बधाई .

Comment by Neeraj Neer on March 12, 2014 at 9:37am

बहुत खूब .. 

Comment by Omprakash Kshatriya on March 12, 2014 at 7:26am

सरल व सरस .

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