For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मैं अपने ही साथ रहूँगा"

मैं अपने ही साथ रहूँगा!
खुद में तुझसे बात करूँगा!!

अब चाहे  जिससे मिलना हो!
दर्पण अपने साथ रखूँगा!!

मेरे कद को ढाँक सके जो !
ऐसी चादर साथ रखूँगा!!

उनको हँसकर मिलने तो दो!
मैं भी दिल की बात करूँगा!!

बातें बहुत ज़बानी कर लीं!
मैं भी खत इक बार लिखूँगा!!
*****************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on August 13, 2014 at 5:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी ...............   सादर 

Comment by vijay nikore on August 13, 2014 at 10:59am

बहुत ही सुन्दर गज़ल बनी है। हारदिक बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on August 12, 2014 at 1:42pm

उत्साह वर्धन अनुमोदन व् अमूल्य सुझाव हेतु आपका बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी  ......... सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 12, 2014 at 1:15pm

राम भाई, इस ग़ज़ल से आपने हमें एकदम से खुश कर दिया है. शेर कहन से बहुत ही गहन हैं, लेकिन क्या चलते-फिरते लहजे में अपनी बातें कह रहे हैं ! बहुत खूब !

इन दो शेरों के लिहाज पर जितना कहूँ, कम होगा.

अब चाहे  जिससे मिलना हो!
दर्पण अपने साथ रखूँगा!!

मेरे कद को ढाँक सके जो !
ऐसी चादर साथ रखूँगा!!

बहुत-बहुत बधाइयाँ !

अलबत्ता, निम्नलिखित शेर को मैं अपनी तरफ से यों परिवर्तन कर पढ़ रहा हूँ. नहीं, मैं परिवर्तन की बात नहीं कर रहा हूँ. यह बस मेरी व्यक्तिगत सोच भर है -
उनको हँसकर मिलने तो दो !
मैं भी हँस कर बात करूँगा !!

Comment by ram shiromani pathak on August 12, 2014 at 12:28pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण जी....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on August 12, 2014 at 12:27pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2014 at 12:09pm

आ० भाई रामशिरोमणि जी , इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 10:08am

मेरे कद को ढाँक सके जो !
ऐसी चादर साथ रखूँगा!!...........सही निर्णय

बहुत -२ बधाई आपको आदरणीय राम भाई

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:53pm
Hardik aabhar savita g... Saadar
Comment by savitamishra on August 11, 2014 at 3:35pm

बहुत ही सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service