बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो होती हैं-
सृष्टि की अद्भुत कल्पना
आनंददायक भावना।
वो रहती हैं-
आँगन की हवाओं में
पिता की दुआओं में ।
तभी तो खिल जाती है
एक स्नेहिल मुस्कान
हर लेती जो कितनी थकान।
बांटती है हमेशा-
खुशियों की सत्त्व-दीप्ति
मधुर जीवन संस्कृति।
वैसी कोई दूजी सुवास नहीं होती ।
क्योकिं बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो दूर करती हैं-
उदासी, दोनों ही घरों की
बनाती है जीवन इन्द्रधनुषी।
बेटियाँ हर लेती हैं-
पीड़ा, संतप्त मन की
घर की, आँगन की।
और देती हैं हमें एक -
अलौकिक आनंद की अनुभूति
जैसे बनकर कोई सुधा-सूति।
वही तो होतीं हैं,
जब माँ पास नहीं होतीं ।
क्योकिं बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
रचना को सराहने का बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय आमोद बिंदौरी जी ।
इस भावमय रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय ..
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी ..
बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , बिलकुल सच है , एक उम्र के बाद वो माँ का स्थान ले लेती हैं..
बेटियों के प्रति आपके उदगार प्रशंसनीय है बेटियां होती हैं ऐसी
वही तो होतीं हैं,
जब माँ पास नहीं होतीं ।
वाह!
बहुत बहुत आभार आदरणीय सुनील प्रसाद(शाहाबादी) जी , दिल से आभार..
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