For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे शानों पे .....

मेरे शानों पे .....

साँझ होते ही मेरे तसव्वुर में
तेरी बेपनाह यादें
अपने हाथों में तूलिका लिए
मेरी ख़ल्वत के कैनवास पर
तैरती शून्यता में
अपना रंग भरने आ जाती हैं

रक्स करती
तेरी यादों के पाँव में
घुंघरू बाँध
अपने अस्तित्व का
अहसास करा जाती हैं

मेरी रूह की तिश्नगी को 

अपनी दूरी से
और बढ़ा जाती हैं

मेरे अश्क
मेरी पलकों की दहलीज़ पे
चहलकदमी करने लगते हैं

न जाने कब
सियाह तारीक को चीरता
तेरी याद का जुगनू
मेरे सिरहाने तू बन कर

तमाम शब मुझसे बतियाता है

फिर मेरे चहरे पे
तेरी बेपरवाह ज़ुल्फ़ों के भूले स्पर्श को
इक सांस दे जाता है

सोयी तड़प को
नया आगाज़ दे जाता है

मैं अपने अंधेरों में
ग़ुम हो जाता हूँ
ख़ुद को ख़ुद से जुदा पाता हूँ
मगर चाह कर भी
खुद को तुझसे जुदा कहाँ कर पाता हूँ

मेरी नींदें भी
मुझसे अदावत कर बैठी हैं
आगोश में न लेने की
ख़िलाफ़त कर बैठी हैं
नर्म आरिज़ों की वो गर्मीं
मेरी शबों को तपिश देती है


तेरी यादों का सैलाब
मेरी आँखों को सुर्ख कर जाता है
हर करवट तू मेरे साथ होती है
आज भी

मेरे शानों पे तेरी याद
सिर रख के सोती है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 12, 2015 at 7:57pm

आदरणीया    rajesh kumari जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 12, 2015 at 7:56pm

आदरणीय   गिरिराज भंडारीजी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 12, 2015 at 7:55pm

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuriजी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 10:24pm

वाह.. वाह.. वाह.. बहुत ही सुन्दर दिलकश   प्रस्तुति है दिल से बधाई आपको आ० सुशील सरना जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 10, 2015 at 9:34pm

आदरणीय सुशील भाई , लाजवाब , भाव पूर्ण कविता कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 10, 2015 at 9:11pm

नायाब रचना...बहुत बहुत बधाई!आदरणीय

अतुकान्त को खेल कहने वालों के लिए एक पाठ!

Comment by Sushil Sarna on September 9, 2015 at 9:12pm

आदरणीय डॉ गोपाल भाई साहिब रचना पर आपकी उपस्थिति से रचना धन्य हुई। इस प्रशंसा का हार्दिक आभार। सर यहां तारीक से अभिप्राय अँधेरे से है। शायद अब आप संतुष्ट होंगे।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2015 at 8:21pm

इस कविता में आपके वही तेवर है जिसके लिए मैं आपकी बेहद इज्जत करता हूँ . तारीक को शायद तारीख  या तवारीख होना चाहिए ..

Comment by Sushil Sarna on September 9, 2015 at 3:03pm

आदरणीय सौरभ सर रचना को आपके स्नेहासक्त शब्दों ने जो अपनत्व का मान दिया है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on September 9, 2015 at 3:01pm

आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से मेरे सृजन बल मिला है।आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
3 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
8 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज जी,आप अभिलाषी हैं कि लोग आपकी रचना पर टिप्पणी करें।आपने कितनी ग़ज़लों पर टिप्पणी की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से काफ़ी कुछ…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service