ग़ज़ल ( शुरुआते मुहब्बत हो गयी )
------------------------------------------
(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन- फाइलुन )
यक बयक मुझ पर सितमगर की इनायत हो गयी ।
ऐसा लगता है शुरुआते मुहब्बत हो गयी ।
की वफ़ा गैरों से अहदे इश्क़ अपनों से किया
जानेमन यह तो अमानत में खयानत हो गयी ।
यह नतीजा तो अज़ीज़ों पर यक़ी करने का है
यूँ नहीं पैदा सनम के दिल में नफरत हो गयी ।
दिल की अब कीमत कहाँ है हुस्न के बाजार में
ऐसा लगता है मुहब्बत में तिजारत हो गयी ।
फूल क्या हैं खार भी तेरे मुखालिफ हो गए
बागबाँ लगता है गुलशन में बगावत हो गयी ।
वह तसव्वुर में मेरे रहते हैं हर दम दोस्तों
कौन कहता है मेरी दिलबर से फुरक़त हो गयी ।
वह अता करने ही वाले हैं वफाओं का सिला
मुझको यह तस्दीक़ सुनते सुनते मुद्दत हो गयी ।
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरम जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
आदरनीय तस्दीक अहमद जी बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।
मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मोहतरम जनाब ब्रजेश कुमार साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मोहतरमा कल्पना साहिबा , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मोहतरम जनाब शकूर साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
आदरनीय तस्दीक भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल सेबधाइयाँ स्वीकार करें ।
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई बहुत बहुत बधाइयाँ
बेहद खुबसूरत ग़ज़ल हुई है जनाब तस्दीक साहब | बहुत बहुत बधाई आपको |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online