For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )

ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )
--------
फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

न कुछ तुम से इसके सिवा चाहिए ।
हमें सिर्फ़ अहदे वफ़ा चाहिए ।

जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।

करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।

जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।

कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।

ज़रूरी है ख़िदमत भी मख़लूक़ की
अगर तुझको साजिद ख़ुदा चाहिए ।

वो तस्दीक़ मुल्के अदम को गया
तुम्हें जिस बशर का पता चाहिए ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 1284

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:31pm

मोहतरमा  कल्पना    साहिबा  ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 9:22pm

वाह | बहुत खूब |

जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।

करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।

जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।  बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है | दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 3, 2016 at 7:25pm

मोहतरम जनाब अशोक कुमार  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 3, 2016 at 7:25pm

मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 2, 2016 at 11:08am

जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।.......जरूर.

कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।........वाह ! बहुत खूब.

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2016 at 9:27am

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 1, 2016 at 7:41pm

मोहतरम जनाब समर कबीर  साहिब आदाब  , ग़ज़ल में गहराई से   शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Samar kabeer on October 1, 2016 at 5:37pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 30, 2016 at 7:33pm

मोहतरम जनाब जयनित कुमार  साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया --- आपने मेरे नाम की जगह कालीपद साहिब का नाम लिख दिया है ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 30, 2016 at 7:31pm

मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ----मख़लूक़ का मतलब है  दुनिया और मख़्दूम का मतलब है खिदमत किया गया ---सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
16 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
59 minutes ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
8 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
20 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service