ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )
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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल
न कुछ तुम से इसके सिवा चाहिए ।
हमें सिर्फ़ अहदे वफ़ा चाहिए ।
जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।
करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।
जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।
कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।
ज़रूरी है ख़िदमत भी मख़लूक़ की
अगर तुझको साजिद ख़ुदा चाहिए ।
वो तस्दीक़ मुल्के अदम को गया
तुम्हें जिस बशर का पता चाहिए ।
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरमा कल्पना साहिबा , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया --
वाह | बहुत खूब |
जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।
करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।
जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए । बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है | दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये |
मोहतरम जनाब अशोक कुमार साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----
मोहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ----
जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।.......जरूर.
कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।........वाह ! बहुत खूब.
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.
आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मोहतरम जनाब जयनित कुमार साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया --- आपने मेरे नाम की जगह कालीपद साहिब का नाम लिख दिया है ----
मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब ,ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ----मख़लूक़ का मतलब है दुनिया और मख़्दूम का मतलब है खिदमत किया गया ---सादर
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