For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( साजन के तेवर देख कर )

ग़ज़ल
--------
फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फाइलुन

चाहता है सिर्फ़ दिल मेरा ये मंज़र देख कर ।
फोड़ लूँ मैं अपनी आँखें उनको मुज़्तर देख कर ।

ज़िन्दगी में भी वो आजाएं जो मेरे दिल में हैं
सोचता रहता यही हूँ उनको अक्सर देख कर ।

हर किसी के पास तो होता नहीं ख़ुद का मकाँ
किस लिए हैं आप हैराँ मुझको बे घर देख कर ।

किस में हिम्मत है बढाए दोस्ती का हाथ जो
आस्तीं में आपकी पोशीदा खंज़र देख कर ।

फिर मुसीबत ना गहानी आने वाली है कोई
ऐसा लगता है मुझे उन्से सितमगर देख कर ।

हम हैं वह साजिद जो हर दहलीज़ पर झुकते नहीं
सौदे बाज़ी कर अमीरे शहर तू सर देख कर ।

कर दिया तस्दीक़ उनको दोस्तों ने बद गुमाँ
हो रहा है यह गुमाँ साजन के तेवर देख कर ।


उन्स ------मुहब्बत
मुज़्तर ---बे क़रार

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 21, 2016 at 7:36pm

मोहतरम जनाब शकूर साहिब ,  ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:44pm

मुहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद साहब आपकी ग़ज़ल पर कुछ सार्थक चर्चाएँ हुईं  हैं पाठकों को ज़रूर फायदा मेरी तरफ से बधाई आपको इस रचना के लिए

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 20, 2016 at 7:57pm

मोहतरम जनाब  सुरेश कुमार  साहिब  , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का   बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 20, 2016 at 7:56pm

मोहतरम जनाब  समर कबीर  साहिब आदाब ,  वाक़ई  रंगे सितमगर से मिसरा अच्छा लग रहा है ,  बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 20, 2016 at 7:52pm

मोहतरम जनाब रवि साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 20, 2016 at 12:44pm
आदरणीय तसदीक अहमद साहब उम्दा गजल के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 10:08pm
अगर आप मुनासिब समझें तो ऐसा कर लें:-
"ऐसा लगता है मुझे रंग-ए-सितमगर देख कर"
Comment by Ravi Shukla on September 19, 2016 at 9:46pm
आदरणीय तस्दीक साहब उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कुबूल करे । एक पाठक के तौर पर आप लोगो के कलाम और उस पर आई टिप्पणियों से शब्द का प्रयोग और स्वरूप पर नई नई जानकारी मिलती है आपका और आदरणीय समर साहब का अभारं । सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2016 at 8:14pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -----मश्वरे के लिए शुक्रिया , उन्से सितमगर की जगह हुब्बे सितमगर कर लिया है ---मिहरे सितमगर भी हो सकता है 

Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 3:06pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
पांचवें शैर के सानी मिसरे में"उन्स" के साथ इज़ाफ़त नहीं लगेगी,आपका शैर कमज़ोर लग रहा है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service