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अब, क्या बोलूं मैं ...

अब ,क्या बोलूं मैं ...

अब
क्या बोलूं मैं


जब
मेरे स्वप्निल शब्दों ने
यथार्थ का
आकार लेना शुरू किया
तो भोर की
एक रशिम ने
मेरे अंतरंग पलों पर
प्रहार कर दिया

मैं अनमनी सी
सुधियों के शहर से
लौट आयी
यथार्थ की
कंकरीली ज़मीन पर

मेरी उम्मीदों की मीनारें
ध्वस्त हो कर
मेरी पलकों की मुट्ठी से
निःशब्द
गिरती रही

तिल-तिल जुड़ने की आस में

मैं रेशा-रेशा
उधड़ती रही


खड़ी रही
किसी वीरान से चौराहे पर
अपने अधूरेपन के
पूरा होने की प्रतीक्षा में

मेरे सिन्दूर के
नयन घटों का
उदासियों की चिता से
शृंगार हो गया
मेरी देह पे
जन्मों के लिए
तुम्हारी छुअन का
अधिकार हो गया

प्रतीक्षा हंसती रही
शनै शनै
मेरी नाउम्मीदी की
अनंत कहानी का
उपसंहार हो गया

मेरे शब्द
अँधेरे कमरे में
तैरते प्रश्नों की कैद में
दम तोड़ने लगे
अनुतरित प्रश्नों की
कौंधती बिजलियों में
मैं झुलसने लगी
तुम ही बताओं
अपने
मधुपलों के अवशेषों से
स्वर उधार लेकर
तुमसे
क्या बोलूं मैं

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on November 11, 2016 at 7:23pm

आदरणीय  डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा ने सृजन को जो ऊर्जा प्रदान की है उसके लिए आपका दिल से हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 11, 2016 at 7:21pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को आपके शीरीं अल्फ़ाज़ों ने जो लिबास नवाज़ा है उसके लिए बन्दा आपके तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है। 

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on November 11, 2016 at 5:49pm

अनुभूत वेदना सुन्दर अभिव्यक्ति: खड़ी रही...किसी वीरान से चौराहे पर ...अपने अधूरेपन के ...पूरा होने की प्रतीक्षा में...

और "अनंत कहानी का ...उपसंहार' सुन्दर आयाम!

बधाई सुशील सरना जी.

Comment by Samar kabeer on November 10, 2016 at 9:01pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,हमेशा की तरह बहतरीन कविता लिखी है आपने,भरपूर शाइरी,कामयाब शाइरी,में तो जैसे बहने लगा,डूबने लगा इस के भवों में,बहुत ख़ूब वाह, इस बहतरीन प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on November 10, 2016 at 3:55pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहिब प्रस्तुति के भावों को अपनी सहमति से अलंकृत कर उसका मान बढाने का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 10, 2016 at 3:02pm

आदरनीय खूब सूरत , भाव पूर्ण कविता के लिए आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

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"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
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"हार्दिक आभार आदरणीय "
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"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
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"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
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