बेपर्दा ....
तमाम शब्
अधूरी सी
इक नींद
ज़हन की
अंगड़ाई में
छुपाये रहती हूँ
इक *मौहूम सी
मुस्कान
लबों पे
थिरकती रहती है
सुर्ख रूख़सारों पे
ज़िंदा है
वो तारीकी की ओट में लिया
इक गर्म अहसास का
नर्म बोसा
डर लगता है
सहर की शरर
मेरी हया को
बेपर्दा न कर दे
जिसे छुपाया
अपनी साँसों से भी
कहीं ज़माने को
वो
ख़बर न कर दे
*मौहूम=भ्रमित
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तेजवीर सिंह जी रचना के भावों प्रोत्साहन देती आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बेहतरीन कविता।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को आत्मीय सम्मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। आपका सुझाव और भी प्रभावशाली है। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः प्रेषित करता हूँ। आपका हार्दिक हार्दिक आभार।
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का दिल से आभार।
डर लगता है, सहर की शरर
मेरी हया को बेपर्दा न कर दे,
जिसे छुपाया अपनी साँसों से भी
कहीं ज़माने को वो ख़बर न कर दे | - बहुत खूब | असलियत में आज महिलाओं में खौफ है, दर है | जब कोई लडकी धर से निकलती है तो उसके घर लौटने तक माँ-बाप चिंतित रहते है | सुंदर रचना के लिए बधाई श्री सुशील सरना जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online