For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

2122 2122 212
बह रहे हो नद-से दम भर देखिये
चलते रहना पर ठहरकर देखिए।

राज दिल के मुँह पे लाकर देखिए
आज अपनों को बताकर देखिए।

जा रहे हो दूर हमसे रूठकर
थोड़ा-सा नजदीक आकर देखिये।

नफरतों से क्या किसी को कुछ मिला?
चाह दिल में भी जगाकर देखिये।

कुछ न हासिल हो सका चलके अलग
*दो कदम तो साथ चलकर देखिए।*

मुश्किलों में भी ख़ुशी को पा लिया
मिटता उनके दिल का हर डर देखिये

मुश्किलें होती हैं सच की राह में
हौंसले से खुद को बस तर देखिए।

नेकनीयत हों अगर राणा सभी
बरकतों से भरते फिर घर देखिए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 30, 2016 at 3:39pm
आदरणीय मिथिलेश जी,आपको रचना प्रयास पसन्द आया।यह सार्थक हुआ।सादर हार्दिक आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 30, 2016 at 3:38pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी,प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया!यह स्नेह यूँ ही बना रहे!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 29, 2016 at 11:56pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, इस बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर.

Comment by Mahendra Kumar on December 29, 2016 at 7:54pm
आदरणीय सतविन्द्र जी, इस बढ़िया आशापूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2016 at 11:00pm
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,आपका स्नेह यूँ ही बना रहे,बहुत् बहुत आभार, भाई जी!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2016 at 10:59pm
आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमन!स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए सादर आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2016 at 10:58pm
आदरणीय श्याम नारायण जी स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2016 at 10:57pm
आदरणीय समर कबीर जी,सादर वन्दन!आपसे अनुमोदन एवं प्रोत्साहन पाकर कृतार्थ हुआ।सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2016 at 7:01pm
भाई सतविंदर जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल हुयी है, कुछ अशआर तो बहुत ही अच्छे,आपको दाद के साथ बधाई निवेदित हैं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 6:34pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
29 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
34 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
37 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
51 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
57 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service