For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर 1222 1222 1222 1222

करें स्वागत सभी मिल के, नये इस वर्ष सतरह का;
नये सपने नये अवसर, नया ये वर्ष लाएगा।
करें सम्मान इसका हम, नई आशा बसा मन में;
नई उम्मीद ले कर के, नया ये साल आएगा।

मिला के हाथ सब से ही, सभी को दें बधाई हम;
जहाँ हम बाँटते खुशियाँ, वहीं बाँटें सभी के ग़म।
करें संकल्प सब मिल के, उठाएँगे गिरें हैं जो;
तभी कुछ कर गुजरने का, नया इक जोश छाए गा।

दिलों में मैल है बाकी, पुराने साल का कुछ गर;
मिटाएँ उसको पहले हम, नये रिश्तों से सब जुड़ कर।
कसक मन की मिटा करके, दिखावे को परे रख के;
दिलों की गाँठ को खोलें, तभी नव वर्ष भाएगा।

गरीबी ओ अमीरी के, मिटाएँ भेद भावों को;
अशिक्षित ना रहे कोई, करें खुशहाल गाँवों को।
'नमन' नव वर्ष में जागें, ये' सपने सब सजा दिल में;
तभी ये देश खुशियों के, सुहाने गीत गाएगा।

मौलिक व अप्राकाशित

Views: 1622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 3, 2017 at 8:47pm
आदरणीय वासुदेव जी, नववर्ष पर मंच को इस सुन्दर गीत से नवाज़ने के लिए हार्दिक बधाई आपको।
Comment by Samar kabeer on January 3, 2017 at 8:41pm
जी,हो जाता है ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2017 at 5:44pm

गीत का मुखड़ा ऐसे भी किया जा सकता है जिससे प्रस्तुति के मुक्तक होने का भ्रम नहीं होता और टेक का चयन भी पाठक स्वयं कर लेता है-

करें स्वागत सभी मिल के,

नये इस वर्ष सतरह का;

नई आशा लिए मन में नया ये साल आएगा।
नये सपने नये अवसर, नया पैगाम लाएगा।

सादर 

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on January 3, 2017 at 4:40pm
आ0 मिथिलेश साहिब आपसे नववर्ष गीत को सराहना मिली में धन्य हुआ। हार्दिक आभार।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on January 3, 2017 at 4:38pm
आ0 समर साहिब आपका बहुत आभार। शीर्षक में मैं गीतिका की जगह गीत कर दूंगा। समर साहिब मतले में
लाएगा और आएगा तथा बाकी के शेरों में छाएगा भाएगा गाएगा हो तो रदीफ़ और काफ़िया का निर्वहन हो जाता है क्या।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on January 3, 2017 at 4:34pm
आ0 गोपाल नारायणजी आपने अपनी अमूल्य राय दी में हृदय से आभारी हूँ। गीतिका से मेरा मतलब यहाँ बहर बद्ध गीत से था। अब शीर्षक में गीतिका लिख देने की भूल समझ में आ रही है।
Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 12:38pm
आदरणीय बासुदेव अग्रवाल की सादर अभिवादन, नव वर्ष पर खुबसूरत गीत के लिए सादर बधाई निवेदित है
Comment by vijay nikore on January 3, 2017 at 11:11am

नव वर्ष के लिए अच्छा संदेश दिया है। बधाई, आदरणीय बासुदेव जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2017 at 10:00am

आदरणीय वासुदेव भाई , नये साल पर अच्छी , प्रेरक रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । मुझे भी ये रचना गीत ही लग रही है , आदरनीय ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 11:40pm

आदरणीय बासुदेव जी, नव वर्ष पर बढ़िया गीत लिखा है आपने. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service