For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सार छंद (मात्रिक विधान-16-12/16-12 )

छन्न पकैया छन्न पकैया ,बोले मीठी बोली ।

गाँवों , बाग़ो़ं गलियों छाई , टेसू की रंगोली ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , देखो, खिलता पलाश ।
पागल मतवाले भँवरों को , कलियों की है तलाश ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , टेसू मन को भाया ।
मतवाला, दीवाना, पागल, भँवरा भी इठलाया ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , उड़ता अबीर-गुलाल ।
यारों, संगी-साथी मिलकर ,करते मस्ती धमाल ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , पलाश के हैं झूमर ।
मौसम, यौवन, कलियाँ सबके , बदले-बदले तेवर ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , टेसू है नारंगी ।
रंग-बिरंगे रंग उड़ाते, सारे साथी संगी ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , होली सबको भाती ।
यौवन टेसू का देखे तो, जूही भी इतराती ।।

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1050

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 16, 2017 at 1:33pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी और आदरणीय रवि शुक्ला जी मेरा सार छंद पर यह प्रथम प्रयास है । आप जैसे छंद शास्त्रियों का मार्ग-दर्शन मेरे लिए संजीवनी का काम करेगा । प्रयासरत हूँ । सादर ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 16, 2017 at 12:12pm

सुंदर सार छंद के प्रयास हेतु बधाई | श्री अशोक रक्ताले जी और श्री शेख उस्मानी जी की सलाह पर गौर करे और संशोधन करले तो उचित रहेगा | सादर 

Comment by Ravi Shukla on March 16, 2017 at 11:26am

आदरणीय मोहम्‍मद आरिफ साहब सार छंद पर आपकी प्रस्‍तुति का स्‍वागत है छंदों पर मात्रा भार के अतिरिक्‍त उनका प्रवाह और शब्‍द कलों का संयोजन भी ध्‍यान में रखें तो सुन्‍दर छंद की रचना होती है आपके छंदो के लिये बहुत बहुत बधाई । सार छंद में दो गुरू से सम चरण का अंत सुंदर प्रवाह देता है । छंदो पर अधिक अभ्‍यास नहीं है इसलिये इतना ही कहेंगे । सादर

Comment by Mohammed Arif on March 15, 2017 at 11:22pm
बहुत-बहुत आभार शेख शहज़ाद उस्मानी जी । छंदों पर मेरा लगातार अभ्यास जारी है और आप जैसे गुणीजनों का मार्ग-दर्शन ही मेरे छंदों में निखार लाएगा ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 15, 2017 at 10:12pm
वाह ...बहुत अच्छा लगा आपको यह बेहतरीन प्रयास करते देख कर। बहुत बहुत मुबारक़बाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब। 2,4के सम पदों के अंत में शायद मात्रा 22 होनी चाहिए।
Comment by Mohammed Arif on March 15, 2017 at 11:46am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी और मार्गदर्शन का शुक्रिया ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on March 15, 2017 at 11:23am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर बहुत अच्छे बसंत की मस्ती से भरे सार छंद रचे हैं । बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। फिर भी दूसरे और चौथे का शिल्प जांच लें । पांचवे में भी गेयता कुछ कम लग रही है । देख लें । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
18 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
20 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service