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तेरी आँखों ने
दीवाना बना दिया मुझको
में क्या था और
ये क्या बना दिया मुझको
क्या पता है हाल-ए-खबर तुझे
जो दे गयी है बेचैनी मुझे
क्यों समझते नही ख़ामोशी मेरी
क्या पता नहीं तुम्हें कहानी मेरी
कहते हैं सब ये शराफत है तेरी
पर कैसे बताऊँ तू ही तो मंज़िल है मेरी
सुनो ना जिसे सब लोग जिंदगी कहते हैं
तुम बिन उसे मैं अब क्या कहूँ
ये इश्क क्या है मालूम नहीं
पर इक दर्द सा सीने में है
दीवाना हूँ सादगी का तेरी
सुन ले आरजू इस दिल की मेरी
सुन ले आरजू इस दिल की मेरी.....

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Samar kabeer on April 18, 2017 at 6:17pm
जनाब रोहित जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।
कृपया रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें,यही मंच का नियम है ।
Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 12:14pm

Nilesh ji# धन्यवाद आपके मार्गदर्शन के लिए

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 12:13pm

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2017 at 11:52am

स्वागत है ..
मंच पर विभिन्न विधाओं को   सीखने के लिये भरपूर सामग्री उपलब्ध है... ग़ज़ल   की कक्षा के आलेख पढ़ें और लाभान्वित हों...
सादर 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 10:49am

#Mohammed arif# sahab जी शुक्रिया ....आप सभी महानुभवों का मार्गदर्शन प्राप्त हो यही आशा है।

अभी मुट्ठी भर ज़मीं नापी है हमने, यहाँ तो सारा आसमां बाकी है.

Comment by Mohammed Arif on April 18, 2017 at 9:38am
प्रिय रोहित "मल्हार"जी आदाब, प्रेम के रंग में सराबोर इस रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई । अभी आप उभर रहे हैं । कोशिश करते रहे और गुणीजनों का मार्ग दर्शन भी लेते रहे ।

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"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
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