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हो गया वह बे मुरव्वत देखते ही देखते

ग़ज़ल
फ़ाइलातुन-फ़ाइलातुन-फ़ाइलातुन-फाइलुन

मिल गई उल्फ़त की जन्नत देखते ही देखते।
हो गई उन से मुहब्बत देखते ही देखते।

आ गया है कौन आख़िर हुस्न के बाज़ार में
हो गई बरपा कियामत देखते ही देखते ।

हो गया शायद वफाओं का सितमगर पर असर
ख़त्म करदी उसने नफ़रत देखते ही देखते।

कारवां वालों को हासिल ही न था जिसको यक़ी
उसने पा ली है क़यादत देखते ही देखते।

ये है खारों की हिमायत का नतीजा बागबां
हो गई हर सू बग़ावत देखते ही देखते।

ज़ुल्म का प्याला लबालब हो चुका था दोस्तों
यूँ नहीं बदली हुकूमत देखते ही देखते ।

ग़म यही है सौंप दी तस्दीक़ जिसको ज़िन्दगी
हो गया वह बे मुरव्वत देखते ही देखते।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 6, 2017 at 5:54am
मुहतरम जनाब आशुतोष साहिब,गया,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 5, 2017 at 10:21pm
आदरणीय तस्दीक़ जी उम्दा ग़ज़ल हुयी है हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 5, 2017 at 6:08am
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 4, 2017 at 6:43pm
वाह वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 3, 2017 at 2:28pm
मुहतरम जनाब रवि साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत औऱ हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Ravi Shukla on May 3, 2017 at 11:11am

आदरणीय तस्दीक़ साहब लाजवाब ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद और मुबारक बाद कुबूल करें

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 2, 2017 at 6:40pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मिसरा जो आप ने लिखा हैवहीँ है,टाइप में का की जगह को टाइप हो गया है ,ध्यान दिलाने का शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on May 2, 2017 at 6:30pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'कारवाँ वालों को हासिल ही न था जिसको यकीं'
ये मिसरा शिल्प के हिसाब से कमज़ोर है, इसे यूँ कर सकते हैं:-
'कारवाँ वालों का हासिल ही न था जिसको यकीं'
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 2, 2017 at 6:21pm
मुहतरम जनाब हेमंत कुमार साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Hemant kumar on May 2, 2017 at 4:16pm
वाह् वाह् आदरणीय तस्दीक़ सर क्या लाजवाब ग़ज़ल हुई है....
बधाईयाँ...

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