For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज राखी बँध रहे थे, खूब राखी बँध रहे थे,

भाई भी सब सज रहे थे, पहन कुरते जँच रहे थे!

हीरे – मोती सोने – चाँदी, से सजे रेशम के धागे,

सोचने को पर बहुत कुछ इस सजावट से है आगे,

मन ही मन वादे कई हैं कुछ तो खुलकर भी कही हैं,

पर अधूरे रह गए जो वो ह्रदय में धँस रहे हैं!

यूँ तो हम हैं तीन भाई तीन बहनें भी हैं पाईं,

बहनें सारी बड़ी मुझसे, कष्ट में ना टरीं मुझसे,

कोई जो तकलीफ आई काली बदरी कोई छाई,

माँ से पहले खड़ी डटकर और हिम्मत भी बँधाई,

आज दुख से एक भरी है, उसपे मुश्किल यूँ पड़ी है,

चल बसे धन प्राण उसके, पूत एक जो दूर ही है!

जब ये दुर्घटना घटी थी, धरती ही मानो फटी थी,

हाय न कुछ कर सके थे, तीन उसके जो सगे थे,

खूब ढाढ़स ही बँधा कर, लौट अपने घर गए थे!

इक हमारी माँ बेचारी, उसने कोशिश कर ली सारी,

क्षीण तन दुःख सह न पाया, रोग पाकर वो भी हारी!

अब बहन रहती अकेली, खुद ही खुद की है सहेली,

किंतु राखी बँध रहे हैं, खूब राखी बँध रहे हैं!

भाई भी सब सज रहे हैं, पहन कुरते जँच रहे हैं!

- श्याम किशोर सिंह 'करीब' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 11, 2017 at 9:32pm

बहुत धन्यवाद श्री Laxman Dhami जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2017 at 7:05am
सुदर...हार्दिक बधाई।
Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 8, 2017 at 9:51pm

सादर नमस्कार आदरणीया KALPANA BHATT जी। प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार! निजी अनुभवों को पद्य में ढालकर लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 9:06pm

अच्छे भाव वाली कविता हुई है आदरणीय श्याम जी | बधाई स्वीकारें |

Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 8, 2017 at 6:50pm
नमस्कार आरिफ साहब। बहुत बहुत धन्यवाद। किसी विधा में लिखते का मायने समझ नहीं आया,कृपया स्पष्ट करें।
Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 8, 2017 at 6:47pm
सादर प्रणाम समर कबीर साहब। प्रोत्साहन के लिए बहुत आभार।
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 5:33pm
आदरणीय श्याम किशोर जी आदाब, राखी पर्व की धूम , मस्ती-उल्लास , उमंग , तैयारियों आदि को आपने बेहतरीन तरीक़े से उकेरा है । आप इस रचना को किसी विधा में लिखते तो और मज़ा आ जाता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 4:12pm
जनाब श्याम किशोर सिंह'क़रीब'जी आदाब, अच्छे भाव समेटे आपने कविता में,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service