For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मीडिया भारत का या तो वायरस इक बन गया---ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

मीडिया भारत का या तो वायरस यक बन गया

दीमकों के साथ मिलकर या के दीमक बन गया

मीडिया का काम था जनता की ख़ातिर वो लड़े

किन्तु वो सत्ता के उद्देश्यों का पोषक बन गया

दोस्तों टी वी समाचारों का चैनल त्यागिए

क्योंकि उनके वास्ते हर दर्द नाटक बन गया

क्या दिखाना है, नहीं क्या क्या दिखाना चाहिए

कुछ न, जाने मीडिया, सो अब ये घातक बन गया

ज़ह्र भर कर शब्द में, वो वार जिह्वा से करे

न्यूज़ का हर एंकर नफ़रत-प्रसारक बन गया

मौलिक अप्रकाशित

Views: 441

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 5, 2019 at 4:48pm

"यक" उचित होगा ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 5, 2019 at 4:29pm

आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, अभी संशोधन करता हूँ.....उला मिसरे में "यक" रखने से शायद दोष दूर हो जाये

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 5, 2019 at 4:28pm

आदरणीय हरिओम जी सादर आभार

Comment by Samar kabeer on March 5, 2019 at 3:58pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के ऊला में क़ाफ़िया दोष है देखियेगा ।

Comment by Hariom Shrivastava on March 4, 2019 at 10:59pm

वाहह,वाहहह,बहुत सुंदर ग़ज़ल

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 4, 2019 at 5:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी सर बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 4, 2019 at 5:28pm

आदरणीय सतविंदर भाई बहुत बहुत आभार, रचना को समर्थन देकर आपने इसका कद और बढ़ाया है। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 4, 2019 at 1:38pm

आ. भाई पंकज जी, सुंदर प्रस्तुति हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 4, 2019 at 1:07pm

आदरणीय पंकज भाई जी सादर वन्दन! उत्तम व चिंतनपरक सर्जना। जय जय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service