प्याज भी बोलते हैं- एक लघुकथा
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हर कोई सब्ज़ी वाले से बड़ा प्याज माँगता है। कल मैं भी ठेलेवाले भाई से प्याज ख़रीदते समय बड़े प्याज माँग बैठा। तभी, बड़े प्याजों के बीच बैठे एक छोटे प्याज ने मुझसे कहा,
"भाई साहब, हर कोई बड़ा प्याज माँगता है, तो हमारा क्या होगा? हम भी तो प्याज हैं!"
मैं सकपका गया, ये कौन बोल रहा है? प्याज? क्या प्याज भी बोलते हैं? तभी मैंने देखा वहीं पड़े कुछ बड़े प्याज आंनद से मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। उफ़्फ़, ये प्याज मुस्कुराते भी हैं? ख़ैर, सच यही था कि प्याज बोल रहे थे और पूछ भी रहे थे। छोटे प्याज ने मुझसे आगे कहा,
"साहब, किसका क़सूर है कि हम छोटे हैं? हमारा, किसान का, बीज का, धरती का, हवा का, पानी का, खाद का, या किस्मत का? आप ही बताइए, किसका क़सूर है? हमें देखकर किसान भी ख़ुश नहीं होते, हमें व्यापारी भी कम क़ीमत पर ख़रीदता है, और यहाँ ठेलों पे भी हमारी कुछ ख़ास माँग नहीं है। अव्वल तो हम बिकते ही हैं बड़ी मुश्किल से, और वो भी कम क़ीमत पे। ज़्यादातर होटल वाले हमें बहुत गिरी क़ीमत पे थोक भाव से ख़रीद ले जाते हैं। अच्छे घरों की रसोई में, और सुंदर गृहिणियों तक पहुँचने का तो हमें सौभाग्य ही कहाँ मिलता है?"
मैं बड़ा विस्मित था। एक प्याज और इतना समझदार? बहरहाल, वो छोटा प्याज रुका नहीं। वो आगे भी बोलता गया,
"साहब, जब प्याज की किल्लत हो जाती है, तब कोई बड़े या छोटे प्याज में फ़र्क़ नहीं करता, हर कोई तब बस प्याज ख़रीदना चाहता है, जैसे भी हो, थोड़ा प्याज घर के लिए मिल जाए। तब हम ही लोगों के सबसे ज़्यादा काम आते हैं, बोलिए, है कि नहीं?"
मैं सकते में था, मगर ये सोचकर ख़ुश भी कि प्याज भी बोलते हैं। मैंने सब्ज़ी वाले से कहा, भाई मुझे माफ़ करना, मुझे बड़े नहीं, छोटे प्याज ही दे दो। और वो भी पूरी क़ीमत पर। आख़िर ये भी तो प्याज ही हैं।
वो छोटा प्याज बहुत ख़ुश हुआ। साथ के सारे छोटे प्याज भी बहुत ख़ुश हुए। मैं भी ख़ुशी ख़ुशी छोटे प्याजों को अपने थैले में लिए घर लौट आया।
~राज़ नवादवी
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
जनाब राज़ नवादवी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीया नीलम उपाध्याय जी, रचना को पढ़ने और आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार. सादर.
आदरणीय राज़ नवादवी जी, प्याज के वार्तालाप के आधार पर बेहतर रचना। प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, रचना को पढ़ने और आपके उत्साह वर्धन का ह्रदय से आभार. सादर
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब, रचना को पढ़ने और आपकी सुन्दर प्रतिक्रया का ह्रदय से आभार. सादर.
आद0 राज नवादवी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया कटाक्षपूर्ण लघुकथा लिखी आपने। दिल खोल कर बधाई लीजिये।सादर
आदाब। बेहतरीन उम्दा सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय राज़ नवादवी
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