For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदमे में है बेटियाँ चुप बैठे हैं बाप - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

आदम युग से आज तक, नर बदला क्या खास
बुझी  वासना  की  नहीं, जीवन  पीकर  प्यास।१।


जिसको होना राम था, कीचक बन तैयार
पन्जों से उसके भला, बचे कहाँ तक नार।२।


तन से बढ़कर हो गयी, इस युग मन की भूख
हुए  सभ्य  जन  भेड़िए, बिसरा  सभी  रसूख।३।


तन पर मन की भूख जब, होकर चले सवार
करती है वो  नार  की, नित्य  लाज  पर वार।४।


बेटी गुमसुम सोच ये, कैसा सभ्य विकास
हरमों से बाहर निकल, रेप आ गया पास।५।


सदमे  में  है  बेटियाँ, चुप  बैठे  हैं  बाप
नहीं बोलती रेप पर, लड़ने वाली खाप।६।


पहुँचे नीली  फिल्म  तक, जब  बेटों के हाथ
क्या क्या होगा फिर घटित, सोचो बेटी साथ।७।


रेपिस्टों को  झट  यहाँ, फाँसी  देगा  कौन
सन्सद में इस बात पर, क्यों छाया है मौन।८।


बलात्कार जो कर रहे, लड़ो न उनका केश
रहम करो अब तो तनिक, बेटी पर इस देश।९।


साथ करो सँस्कार की, घर समाज में बात
सुधरेंगे  तब  नार  के,  बदतर  जो  हालात।१०।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 9, 2019 at 3:45pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

'आदम युग से आज तक, नर बदला क्या खास
बुझी  वासना  की  नहीं, जीवन  पीकर  प्यास'

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि इस दोहे में 'ख़ास' और 'प्यास' की तुकांतता उचित नहीं है ।


'तन से बढ़कर हो गयी, इस युग मन की भूख
हुए  सभ्य  जन  भेड़िए, बिसरा  सभी  रसूख'

इस दोहे में भी 'भूख' और 'रसूख़' की तुकांतता उचित नहीं है,देखियेगा ।

'हरमों से बाहर निकल, रेप आ गया पास'

इस पंक्ति में 'हरमों' शब्द ग़लत है,'हरम' शब्द अरबी भाषा का है और इसका बहुवचन है "अहराम" ।

'रहम करो अब तो तनिक, बेटी पर इस देश'

इस पंक्ति में 'रहम' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "रह्म" और इसकी मात्रा 21 है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 9, 2019 at 6:16am

आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 8, 2019 at 1:02am

आदरणीय लक्ष्मण सिंह धामी जी , इस गंभीर, सामयिक और शिक्षाप्रद प्रस्तुति के लिए बधाई , सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 7, 2019 at 6:08am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति से मान बढ़ाने.के लिए आभार ।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2019 at 7:23pm

आदम युग से आज तक, नर बदला क्या खास
बुझी वासना की नहीं, जीवन पीकर प्यास।१।


जिसको होना राम था, कीचक बन तैयार
पन्जों से उसके भला, बचे कहाँ तक नार।२।

वाह बहुत सुंदर आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ... क्या अहसास हैं ... खूबसूरत अशआर की ये ग़ज़ल काबिले तारीफ़ है। ..... दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service