For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे ही प्यार में पगी आई. - ग़ज़ल

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122 1212 22 

मेरे ही प्यार में पगी आई. 

पास जब मेरी ज़िन्दगी आई. 

 

उनके हिस्से में कुछ नहीं आया,

जिनको करना न बंदगी आई. 

 

न किसी से लगा सके दिल को,

दिल से करना न दिल्लगी आई.

 

मेरी आँखों में देखकर आँसू,

उनके चेहरे पे ताज़गी आई.

 

प्यास सबकी बुझाई दरिया ने,

मेरे हिस्से में तिश्नगी आई.

 

दिल में जो था वो कह दिया मैंने, 

पर न मुझको अदायगी आई.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 12, 2020 at 6:21pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार 

दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 12, 2020 at 6:21pm

आदरणीय सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार 

दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 12, 2020 at 6:21pm

आदरणीय Madhu Passi 'महक'  जी सादर नमस्कार 

दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 12, 2020 at 6:20pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब , आपकीहै निरंतर हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

जिंदगी को प्रेमिका के प्रतीक रूप में लिया है 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2020 at 6:36am

आ. भाई बसंतकुमार जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by सालिक गणवीर on August 11, 2020 at 3:22pm

भाई बसंत कुमार शर्मा जी

सादर अभिवादन

उम्दा ग़ज़ल कही है आपने जनाब,दाद और मुबारकबाद स्वीकार करें.

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 11, 2020 at 12:21pm
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सादर नमस्कार! ग़ज़ल बहुत ही अच्छी हुई, इसके लिए बधाई स्वीकार करें।
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 10, 2020 at 10:45pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, मतला समझने में क़ासिर हूँ, इस के इलावा ग़ज़ल के सभी अशआ़र लाजवाब हुए हैं, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2020 at 8:29pm

आदरणीय  आशीष यादव जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by आशीष यादव on August 10, 2020 at 7:27pm

बहुत सुंदर। बड़े ही सहज ढँग से आपने बातों को कह दिया। बहुत बहुत बधाई हो।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service