For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन

2122 1122 1122 22(112)

जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन,
पास दौलत है तो उसकी है ये दौलत दुश्मन ।

दोस्त इस दौर के दुश्मन से भी बदतर क्यूँ हैं,
देख होती है मुहब्बत की हकीकत दुश्मन ।

माँग लो जितनी ख़ुदा से भी ये ख़ुशियाँ लेकिन,
हँसते-हँसते भी हो जाती है ये जन्नत दुश्मन ।

मैं बदल सकता था हाथों की लकीरों को मगर,
यूँ न होती वो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन ।

ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहॉं,
'हर्ष' हो जाए मुहब्बत की मुहब्बत दुश्मन ।

"स्वरचित व अप्रकाशित"

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on September 13, 2020 at 9:18am

आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी आपकी स्नेहिल होंसिला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सादर ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2020 at 5:53am

आ. भाई हर्ष महाजन जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Harash Mahajan on September 11, 2020 at 10:13pm

आदरणीय जनाब अमीरुद्दीन जी मेरी पेशकरदा रचना पर आपकी आमद और तनक़ीद का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ ।  आपके दिए गए सुझाव सच में बहुत ही बेहतरीन हैं जो कृति की शौभा बढ़ाती है । आपने कृति पर अपना कीमती समय दिया इसके लिए मैं तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सादर ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 11, 2020 at 6:36pm

आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। 

"यूँ न होती जो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन"     जनाब इस मिसरे में अगर के साथ जो शब्द खटक रहा है, जो के बदले वो कर के देख सकते हैं। 

"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर अगर,

इल्म हो जाए मुहब्बत की हकीकत दुश्मन"   अच्छा शे'र है लेकिन आप इस शे'र को ग़ज़ल का मक़्ता भी बना सकते हैं :

"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहाँ,

'हर्ष' हो जाए मुहब्बत की मुहब्बत दुश्मन"  सादर। 

 

Comment by Harash Mahajan on September 11, 2020 at 12:30pm

आदरणीय आशीष यादव जी मुहब्बतों के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

सादर ।

Comment by Harash Mahajan on September 11, 2020 at 12:29pm

आदरणीय साध्वी सैनी जी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपके स्नेहिल शब्दों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by आशीष यादव on September 10, 2020 at 11:14pm

आदरणीय श्री हरष् महाजन जी अच्छी गजल पर मुबारकबाद कुबूल फरमायें। 

Comment by Harash Mahajan on September 10, 2020 at 8:15pm

आदरणीय सर समर कबीर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति केके लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।  सृजन के भावों को  इतना मान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । 

सादर ।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2020 at 4:02pm

जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Harash Mahajan on September 9, 2020 at 7:17pm

आदरणीय डिंपल जी मेरी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service