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छन्न पकैया, छन्न पकैया, सुन्दर छंद पढ़ाया
बागी भाई पढ़ते पढ़ते, सचमुच मन हरषाया
एक से बढ़कर एक हैं सारे छन्न पकैया आदरणीय बागी भाई.... आनंद आ गया...
सादर बधाई स्वीकारें.
आदरणीय योगराज सर, आपका आशीर्वाद महत्वपूर्ण है, आपने पहले विलुप्तता के कगार पर खड़ी विधा कहमुकरी और अब मृतप्राय विधा छन्न पकैया को जिवंत किया है वो काबिले तारीफ़ है, आपसे ही सिख कर कुछ लिखने का प्रयास किया है, यदि आपको पसंद आया तो लेखन सफल हुआ | कोटिश: आभार आपका |
बागी भाई, जितनी जानकारी आपने इस विधा के बारे में दी है, उस से ज्यादा मुझे भी कुछ मालूम नहीं. दरअसल १६+१२+१६+१२ की बंदिश के बारे में भी आप ही से ज्ञात हुआ है.
क्या कहने हैं बागी जी, वाह वाह वाह !!! शिल्प और कथ्य की दृष्टि से अति उत्तम और बहुत सुन्दर छन्न पकैया कहे हैं आपने. हालत-ए-हाजिरा को मज़मून बना कर कमाल के सन्देश दिए हैं, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
दीपक जी, छन्न पकैया बहुत ही पुरानी विधा है जो मृतप्राय अवस्था में है, ओ बी ओ के प्रधान सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर ने इस विधा को पुनः जिवंत करने का प्रयास किया है, कई मित्रों ने इस विधा पर खुबसूरत व् सफल प्रयास किया है |
यह एक मात्रिक छंद है, इस विधा में जैसा की आप देख रहे है चार चरणों में लिखा गया है पहले और तीसरे चरण में १६-१६ मत्राए व् द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में १२-१२ मात्राएँ है व् यति गुरु से है | गेयता आवश्यक है | प्रथम चरण हर बार एक ही वाक्य "छन्न पकैया छन्न पकैया" की बारंबारता होती है |
यदि कुछ छुट रहा हो तो आदरणीय योगराज जी प्रकाश डालना चाहेंगे |
छन्न पकैया छन्न पकैया.......
vah..vah....vah..vah....!!!!
aadarniya bagi ji, main is chhand ka grammar samajhna chahta hoon. kripya mera margdarshan karein.
सराहना हेतु आभार नीरज जी |
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