For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निजत्व की खातिर

निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान

Views: 1286

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mukesh Kumar Saxena on April 8, 2012 at 5:47pm
Jis ne nijatv ko jan liya vo jag se juda ho jaate hai.
Jisne khud ko pahichan liya vo log khuda ho jaate hai. Khudi se hi khudai hai . Pl read my spiritual article in dharmic. Gp. Apki rachna vahut achchhi hai. Badhai sweekar kare.
Comment by MAHIMA SHREE on April 8, 2012 at 5:34pm
आदरणीय श्याम बिहारी जी   ,
नमस्कार ,  स्वागत है , कोटिश  धन्यवाद , ..  
Comment by MAHIMA SHREE on April 8, 2012 at 5:33pm
आदरणीय जवाहर सर ,
नमस्कार , धन्यवाद , स्नेह बनाये रखे..  
Comment by Shyam Bihari Shyamal on April 8, 2012 at 7:06am

वाह.. जीवंत रचना... बधाई..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 7, 2012 at 8:08pm

आदरणीया महिमा श्री जी..

बेहतरीन और शानदार प्रस्तुति...महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना हेतु चयनित होने पर आपको कोटिशः बधाइयाँ

Comment by MAHIMA SHREE on April 6, 2012 at 11:14am
आदरणीय अविनाश जी,
सादर नमस्कार ,
आपको मेरा हार्दिक धन्यवाद , आपने पढ़ा , सराहा, उत्साह वर्धन किया...आभारी हूँ..
Comment by AVINASH S BAGDE on April 6, 2012 at 10:08am

कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं 
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं............................बहुत ही उम्दा.
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान....वाह!
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान........सटीक आशंका.
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है................सत्य-वचन.
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं..........अनगिनत...असंख्य......अनंत...
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान....महिमा श्री जी.....पहले तो आपको बधाई...माह का सर्वश्रेष्ठ होने के लिये साथ ही इतनी विचार-श्रेष्ठ   रचना हेतु साधुवाद .........कुल मिला कर लाजवाब.

Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 9:30pm

आदरणीय मयंक सर,

नमस्कार , आपका बहुत -२ हार्दिक धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 9:28pm
 आदरणीय सौरभ सर,
सादर प्रणाम , आप सब गुणीजनों का प्रोत्साहन और आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहा ..तो भविष्य में भी जरुर अच्छा करने का उत्साह  रहेगा ,  सचमें आज आप सबो के आशीर्वचनो से मेरा ह्रदय आह्लादित हो रहा है...स्नेह बनाये रखे..    
 
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 5, 2012 at 9:07pm

आदरणीया महिमा श्री जी..

बेहतरीन और शानदार प्रस्तुति...महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना हेतु चयनित होने पर आपको कोटिशः बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service