For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिमा रोज की ही तरह आज भी सुबह पाँच बजे अधपूरी नींद से उठ गई ! फिर घर की दैनिक सफाई के बाद बेड टी बनाकर अजय को जगाया, और सोनू को जगाकर स्कूल के लिए तैयार करने लगी ! सोनू स्कूल चला गया ! महिमा ने अजय के ऑफिस के कपड़े इस्त्री किए, फिर उसे जगाया, उसका नाश्ता बनाया ! अजय उठा और महिमा को इधर-उधर की दो चार हिदायते देते हुवे तैयार हुवा, और आखिर नौ बजे ऑफिस चला गया ! उसके जाने के बाद महिमा ने नहाकर थोड़ी पूजा की, फिर लंच तैयार किया और लंच लेकर सोनू के स्कूल गई, समय था बारह ! घर आकर खाना खाई और फिर किचन की साफ़-सफाई में लगी, ये सब करते समय हुवा दो ! अब उसने कुछ पल आराम करना चाहा कि तभी सोनू स्कूल से आ गया ! वो सोनू में लग गई ! उसकी स्कूल ड्रेस उतारी, फिर होमवर्क कराने लगी ! इन सबमे चार बज गए ! अब वो लेटी ! कुछ ही पल बीते कि अजय आ गया ! आते ही महिमा को जगाया ! बोला, “महिमा उठो-उठो...मेरी वो पार्टी वाली शर्ट कहाँ हैं..जल्दी दो !”

“शर्ट तो अलमारी में होगी, पर इस्त्री नही है ! अभी कर देती हूँ !”

“क्या मतलब...इस्त्री नही है !” अजय चिल्लाया, “.तुम करती क्या हो दिन भर....सोने से और इधर-उधर की बकवास से फुरसत मिलेगी तब न करोगी इस्त्री...आदमी काम पे गया नही कि तुम्हारी बकवास शुरू....और तो कोई चिंता है नही...जाने कब समझोगी अपनी जिम्मेदारी !” कहते हुवे अजय चला गया !

-पियुष द्विवेदी ‘भारत’

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on October 26, 2012 at 11:29am

nice one..sachchai.

Comment by Anil chaudhary "sameer" on October 26, 2012 at 11:20am

पियूष जी, सादर नमस्कार,

आपने अपनी लघु कथा के माध्यम से भारत के मध्यम वर्ग की गृहणी का सटीक एवं सजीव चित्रण किया है, जिसे घर के कामो से अपने लिए कोई ख़ास फुर्सत नहीं, फिर भी सुनती रहती है!
काश घर के अन्य सदस्य और उसका पति उसकी इस दशा को उतना ही समझ सके जितना की आपने समझा है, साथ ही उसकी थोड़ी मदद भी कर दिया करे!
विचारणीय लेख के लिए आपको बधाई!
 
Comment by seema agrawal on October 26, 2012 at 10:58am

एक गृहणी की जीवनचर्या  की  सूक्ष्म और सकारात्मक विवेचना के लिए धन्यवाद पीयूष ......

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 26, 2012 at 10:23am

पीयुष जी, वास्तव में यह एक महिमा की ही कथा नहीं है .....अपने घर में प्रतिदिन १६ से १८ घंटे काम करने वाली कितनी ही महिलाओं को ऐसी बातें रोज सुननी पड़ती हैं| इस सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें |

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 10:05am

आदरणीय सौरभ जी, आपकी सराहना मिली, ये रचना सफल हुई ! कोटिशः धन्यवाद ! यूं ही स्नेहाशीष सदैव रखें !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 26, 2012 at 10:01am

अरे.. . यह रचना कब आगयी..? चुपचाप ! .. .और, जिस तरीके से आयी है उसी तरह से शब्द प्रति शब्द चुपचाप रिसती हुई पाठक की सोच का अहम् हिस्सा बनती चली जाती है. कुछ ऐसे, कि प्रतीत ही नहीं होता कि यह कोई कथा-रचना भी है ! भई, वाह ! ये महिमा ही नहीं, यह तो हर उस सीमा, रेखा, कमला, सुषमा.. या न जाने कितनी-कितनी ऐसी आम गृहणियों की कथा है जो एक सुबह से देर गये रात तक एकसुर में बस जुटी रहती हैं ! और घर घर बना बेफ़िक़्री में चलता रहता है.

इस विन्दु पर कथात्मकता तैयार करने के लिये पियुषजी को हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविष्य के लिये असीम शुभकामनाएँ !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 9:23am

आदरणीय योगराज जी, आपसे सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर रचना के प्रति काफी आश्वस्त हुवा ! बहुत बहुत धन्यवाद,,,,,,!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 26, 2012 at 9:16am

बहुत ही यथार्थवादी लघुकथा कही है भाई पियूष जी, सच में सारा दिन किसी नौकर की तरह काम करने वाली स्त्री को हर रोज़ ऐसी ही बातें सुनने को मिलती हैं. मेरी हार्दिक बधाई इस सुन्दर कृति पर.

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 8:05am

आदरणीय गणेश जी... ये कहानी यथार्थ है ही, ज्योंकि मैंने जो लिखा है, वो घरों में आम तौर पर  होते देखा है ! यहाँ तक की चार पुरुषों की बातचीत में भी अक्सर ऐसे मुद्दों पर चर्चा होने लगती है !

बहुत बहुत धन्यवाद आपका....!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 8:01am

आदरणीया राजेश कुमारी जी... आपको कहानी अच्छी लगी, बहुत बहुत आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
46 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service