For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा :- रक्त पिपासु
"अरे राहुल देख तो, किसी ने फेस-बुक पर अपडेट दिया है कि मुंबई में उसे तत्काल ओ नेगेटिव ग्रुप का ब्लड चाहिए। " 
"लेकिन राजू, यह ग्रुप तो जल्दी मिलता ही नहीं" राहुल ने कहा | 
"जरा रुक उसके संपर्क नंबर पर मैं बात करता हूँ।" यह कहते हुए राजू ने अपने मोबाइल से नंबर लगाने लगा |
"हैलो, मैं दिल्ली से राजू बात कर रहा हूँ , आपको ओ नेगेटिव ग्रुप का ब्लड चाहिए ना ?" 
"हां जी, मुझे ओ नेगेटिव ब्लड की सख्त जरुरत है, मेरा बेटा आई सी यूं में भर्ती है और यह ग्रुप मिल नहीं रहा, प्लीज आप मदद कीजिए |"
"जी मेरा ब्लड ग्रुप भी ओ नेगेटिव है और मैं ब्लड दे भी सकता हूँ , किन्तु समस्या ये हैं कि मैं दिल्ली में हूँ और आप मुंबई में।"
"देखिए, आप आज ही प्लेन से आ जाइए और ब्लड देकर कल सुबह की प्लेन से लौट जाइएगा, मैं आने जाने का खर्च दे दूंगा।"
"आ तो जाऊं, पर मैं एक विद्यार्थी हूँ और आने जाने में कमसे कम बारह हज़ार लग जायेंगे, मेरे पास उतना पैसा नहीं है |"
"ऐसा कीजिये आप अपना बैंक खाता नम्बर मैसेज कर दीजिये, पैसा मैं अभी कोर बैंकिंग से भेज देता हूँ पर आप आ जाइए प्लीज |"
"अच्छा ठीक है, मैं अभी आपको एस एम एस करता हूँ।"
राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो राजू से पूछ बैठा:
"अबे तेरा तो ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है ना, फिर तू झूठ क्यों बोला ?"
"अरे छोड़ ना यार, तू नहीं समझेगा, चल बार में चलते हैं, दारु वारु पीते हैं |"
"पहले तू ये बता कि उस बेचारे को गलत ब्लड ग्रुप क्यों बताया?"
"अरे छोड़ न यार, अपना बैंक खाता नंबर तो सही बताया है न ?"

Views: 1458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by LOON KARAN CHHAJER on November 16, 2012 at 4:37pm

संवेदनहीनता का  घिनौना रूप आपने इस  कहानी से बताया है .साधुवाद .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 14, 2012 at 4:32pm

लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय पियूष द्विवेदी जी |

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on November 12, 2012 at 2:58pm

बहुत सुन्दर लघुकथा आदरणीय गणेश जी....... लघुकथा की बड़ी खासियत कि वो अंत में सीधे मन को छूती है, का बड़ा ही दमदार निर्वहन हुवा है ! बधाई.......!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 12, 2012 at 2:55pm

वीनस जी आपके निशब्दता पर मैं आशंकित हूँ ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 12, 2012 at 2:53pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी मेरे लिए अति महत्वपूर्ण है, बहुत ही सबल मिलता है, सराहना हेतु आभार ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 12, 2012 at 2:50pm

 प्रिय अश्वनी कुमार जी, आपका ओ बी ओ पर पुनः स्वागत है , लघु कथा को पसंद करने और सराहने हेतु आभार ।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2012 at 9:11am

अति सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति आदरणीय भैया गणेश जी....बधाई.......

Comment by वीनस केसरी on November 11, 2012 at 10:11pm
निः शब्द 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 11, 2012 at 2:43pm

इस लघु कथा को पढ़कर ऐसा  महसूस हुआ जैसे अचानक सर पर कोई बहुत बड़ा वजन आ गिरा हो सच में हिला के रख दिया इस कथा के मर्म ने आज के दौर में सब कुछ हो सकता है इंसान में स्वार्थपरता दूसरों के दुःख दर्द के प्रति असंवेदन  शीलता  और युवा पीढ़ी में ेश  करने के लिए पैसे की लालसा इस कदर बढ़ गई है की कुछ भी कर सकते हैं बहुत बहुत बधाई आँखे खोलती इस कथा के लिए आदरणीय गणेश जी ।

Comment by अश्विनी कुमार on November 10, 2012 at 11:11am

अग्रज को सादर अभिवादन ,,बहुत दिन हो गए अग्रज के लघु कथा के रसास्वाड्न का अनुभव हुए सोचा की आज जरा चख ही लूँ ,,दरअसल मै अपना और इन कार्यों  हेतु उपयोग किया जाने मेल आई डी दोनों का ही चाभी भूल गया था तो अनुपस्थिति स्वाभावाविक ही हो गई ,,, भूत की बुनियाद पर वर्तमान का निर्माण होता है और वर्तमान से ही सीख लेकर भविष्य अपने रास्ते बनाता है ,,यही हमारे समाज का कड़ुवा सच है और यही बहुमत मे है हम अपने तुच्छ सवार्थ हेतु किसी के भी जीवन से खिलवाड़ कर सकते हैं क्योंकि तेज रफ्तार हैं हमारे अंदर प्रतिस्पर्धातमक गुण है और भी न  जाने क्या क्या ,हर छोटी से छोटी बात के दूरगामी परिणाम होते हैं ,आज की युवा पीड़ी जो कल को बच्चे थे न जाने कितनी छोटी छोटी बातों ने उनके मसतिष्क को विकृत किया और कर रही है ,,,आज के कालेज स्कूल शिक्षा कम अमीर और गरीब का फर्क ज्यादा समझाते हैं ,,आज को ही लीजिये बाल दिवस है बड़ी बिटिया जो चौथी क्लास मे है उसे पिकनिक के लिए डेयरी मिल्क का बड़ा वाला चाकलेट का डिब्बा और चिप्स आदि न जाने क्या चाहिए था मेरे लाख समझाने पर भी उसे समझ नही आया की घर का भी बना हुआ ले जाया जा सकता है दरअसल वह अपने टीचर की फर्माबरदार विद्यार्थी है और अगर मैडम ने कहा है तो उसे पूरा करना है लेकिन अगर घर की हैसियत न हो तो बच्चों को अमीर गरीब का फर्क तुरंत समझ आ जाता है ऐसे तमाम छोटे मोटे कारण होते हैं  समाज को विकृत करने के लिए ,,,इस लघु कथा जो बहुत बड़ा संदेश दे रही है के लिए हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service