बातों से भी ये गम क्यूँ कम नही होते,
आंसुओ से दिल के कोने नम नही होते.
थी बहुत उम्मीद तो अपनों से इस दिल को कभी,
पर हमेशा साथ ये हमदम नही होते...
बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,
बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.
जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,
उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते...
प्यार है बस जहां रंजीश नही कोई कभी,
क्या कभी ऐसे दिलों में गम नही होते.
याद तो करते है हम उनको सदा ही रात दिन,
ख्वाब में उनके कभी क्या हम नही होते...
अब तो भूख भी लगना भूल गई ,
और प्यास ने लगना छोड़ दिया.
हर दिन बना जीवन उपवास उनका,
क्या कभी ऐसों पर खुदा मेहरबान नही होते...
Comment
धन्यवाद मनोज जी ..इतनी तारीफ़ सुनकर में निशब्द हो गई हु...तहेदिल से धन्यवाद ...
वाह , आरती जी ....सच कहूँ तो आपकी लेखनी के भावों के इर्द गिर्द एक बहुत बड़ी कवियत्री घूम रही है ...... बस आप ऐसे ही लिखिए एक दिन मै उस कवियत्री से भी मिलूंगा \ सच में सुन्दर भाव |
संदीप जी आपका तहेदिल से धन्यवाद
आपका हार्दिक धन्यवाद प्रिय वेदिका जी...
बातों से भी ये गम क्यूँ कम नही होते,
आंसुओ से दिल के कोने नम नही होते.
थी बहुत उम्मीद तो अपनों से इस दिल को कभी,
पर हमेशा साथ ये हमदम नही होते...
बहुत उम्मीदें होती है ... टूट जाती है ... कितना भी बताओ .....सच है पीड़ा कम नही होती ...
पीड़ा चित्रण बहुत नैकट्य से उकेरा आपने आरती जी ।
पाठक जी आपको मेरी रचना के भाव अच्छे लगे ..आपका तहेदिल से शुक्रिया ..
प्रणाम लक्ष्मण सर.. आपको मेरी रचना पसंद आई..इससे ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है..आपका तहेदिल से धन्यवाद
बेबसी पर भुत सुन्दर भाव अभ्व्यक्त किये है आपने बहन आरती शर्मा जी
आदरणीया आरती जी:!!!!!!
बहुत सुन्दर भावों और विचारों में पगी कविता के लिए हार्दिक साधुवाद आपको -
बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,
बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.
जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,
उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते...
सुन्दर पंक्तियाँ !!
आपका तहेदिल से धन्यवाद अभिनव सर ..होस्लाफ्जाही के लिए शुक्रिया..आभार
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