For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब घिर जाता है तिमिर में,
शून्य सलीब पर

टंग जाता है तन
और मुक्ति चाहता है मन
माँगती हूँ परिदों से
पंख उधार
और कल्पना की पराकाष्ठा
 छूने निकल जाती हूँ
मलय के संग
उडती हुई पतझड़ के
पत्ते की तरह
जुड़ जाती हूँ
बकुल श्रंखला में
चुपके से,
मेघों के साथ लुकाछिपी
का खेल खलते हुए
जब थक जाती हूँ
फिर बूंदों के संग
लुढ़कती हुई
चली आती हूँ धरा पर
वापस
अपने आवरण में||

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:32pm

 आदरणीय सौरभ जी  आपको मेरी कल्पना की  उड़ान  पसंद आई ,रचना पसंद आई सुंदर शुभेच्छा हेतु हार्दिक आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:29pm

 प्रिय संदीप  जी  आपको मेरी कल्पना कि उड़ान  पसंद आई ,रचना पसंद आई सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:28pm

 प्रिय प्राची जी  आपको मेरी कल्पनाये पसंद आई ,रचना पसंद आई सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका सच में परिंदों को देख् कर बहुत बार कल्पना करती हूँ की काश हमे भी पंख मिलते और हम भी उच्च गगन में उड़ आते 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:23pm

आदरणीय लक्ष्मण जी  आपको रचना पसंद आई सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:21pm

ब्रजेश कुमार सिंह जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक आभार आपका

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 9:56pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी!
बहुत उन्मुक्त भाव से कल्पना-उड़ान भरा है आपने,निरभ्र आकाश की अनन्त ऊंचाई तक।ईश्वर से प्रार्थना है यह उड़ान निरन्तर उन्नत से उन्नतर होती जाये।
//माँगती हूँ परिदों से
पंख उधार
और कल्पना की पराकाष्ठा
छूने निकल जाती हूँ
मलय के संग//
इन पंक्तियों के लिये विशेष बधाई।
Comment by ram shiromani pathak on February 25, 2013 at 9:02pm

वाह वाह क्या कल्पना की उड़ान है .................बेहतरीन अभिव्क्ति हुई है!!!!!

जब घिर जाता है तिमिर में,
शून्य सलीब पर

टंग जाता है तन 
और मुक्ति चाहता है मन 
माँगती हूँ परिदों से 
पंख उधार 
और कल्पना की पराकाष्ठा
 छूने निकल जाती हूँ 
मलय के संग 
उडती हुई पतझड़ के
पत्ते की तरह!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 8:44pm

भाव-शब्दों से बने इस अनुपम चित्र के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय राजेशकुमारीजी.

शुभेच्छाएँ !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:15pm

वाह वाह क्या कल्पना की उड़ान है .................बेहतरीन अभिव्क्ति हुई है आदरणीया मेम

सादर बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 25, 2013 at 6:36pm

आपकी कल्पनाओं की खूबसूरती...............वाह ! मन खुश हो गया इतने कोमल , सुन्दर, प्रकृति के संग उड़ते, बादलों से लुका-छुपी खेलते, देहबोध की सीमाओं से पार की सैर कर के...

हार्दिक बधाई इस सुन्दर कल्पना पर.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service