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!!! लखनऊ शहर !!!

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!
नवाबी सुरूर,
बागों की हूर
हुस्न औ शबाब,
हजरत आदाब।
अमनों शहर मजहबी सजदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1
मस्जिद आजान
मंदिर रस गान
अमृत औ नीरज
साहित्य धीरज।
शायर कवि कहते बेपरदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2
भूल भुलईया
दिलकुशा छइयां
गंजो का गंज
बागों का ढंग।
यहां हरियाली रहती फिदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3
गलियों की महक
अहातों की चहक
पतंगी जुनून
फाखता सुकून।
आन बान शान शौकत अदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!4


के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 8:44pm

आ0 मनोज भाई जी,   ’’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’’  आपका हार्दिक स्वागत है।   आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by manoj shukla on May 2, 2013 at 8:29pm
बहुत सुन्दर ....आदर्णीय बधाई स्वीकार करें
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 7:24pm

आ0 रामानी जी,  आपकी टिप्पणी मात्र से मैं धन्य हो गया।  ’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’   हर बार आपका हार्दिक स्वागत है।  लखनऊ की यात्रा पुनः स्मृति पटल पर छाने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 7:16pm

आ0 कुशवाहा जी,  ’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’  आपका हार्दिक स्वागत है।   आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 7:11pm

आ0 बसंत नेमा जी,  आपके लखनऊ के प्रति लगाव को मेरा सादर नमन् है।  आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 6:47pm

बहुत सजीव और सटीक वर्णन किया है,केवल प्रसाद जी, पढ़कर मुझे अपनी लखनऊ यात्रा याद आ गई।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2013 at 6:17pm

सही कहा लखनऊ हेतु

स्वागत है लखनऊ में. 

बधाई 

Comment by बसंत नेमा on May 2, 2013 at 11:45am

बहुत सजीव परिचय दिया है आपने अपने शहर का ......... बधाई

 

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