For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! मां !!!


मां -एक मात्र ऐसी स्तम्भ है,
जिस पर सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड टिका है।
और हम अज्ञानी-अहंकारी-विकारी,
मां का अनादर करते है-
लज्जित करते है।
हम इस ब्रहमाण्ड को परे रख कर
स्वयं को सर्वज्ञ - अभिन्न,
विधाता बने फिरते है।
सुखी-स्वस्थ्य-सम्पन्न होने की चाह,
दया-मुक्ति-परमार्थ होने की आश,
धिक-धिक-धिक है हमारी सोच।
धिक्कार है! ऐसा आत्मबोध!
आह! अकेला ही रह जाएगा,
मां को छोड़...
और मां!
फिर भी मां है।
अन्त समय में भी मां का प्यार,
सात गज का आंचल है,
दो गज की गोद है,
थपकी देती तन की माटी
चिर निन्द्रा मे निर्विध्न-
शांति से देती है..... पनाह।
धन्य है मां !
तू धन्य है-
मैं तेरा अपराधी हूं.........हे! मां!!!


के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 7:04pm

आ0 वंदना जी,  आपके उत्साहवर्धन से मां के ममता और स्नेह को दृढ़ता मिली है।  आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Vindu Babu on May 2, 2013 at 9:30am
माँ की ममता,त्याग,समर्पण,प्रेम और क्या क्या कहा जाय.. शब्दों मे पिरो पाना बड़ा मुश्किल है। आपका प्रयास प्रशंसनीय है आदरणीय केवल प्रसाद जी।
सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 8:53am

आ0 रक्ताले  सर जी,   सादर प्रणाम!   मां के त्याग, प्यार और श्रध्दा को आपका स्नेह और आशीष जल अभिसिंचित कर रही है। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 8:44am

आ0 मनोज शुक्ला जी,   मां के त्याग ओर प्यार को आपका समर्थन मिला रचना सफल हुई। आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 1, 2013 at 11:24pm

धरती माँ के सम्मान में लिखी गयी सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय केवल प्रसाद जी. 

Comment by manoj shukla on May 1, 2013 at 8:30pm
बहुत सुन्दर... माता के प्रति स्नेहपूर्ण भाव को शब्दों का रूप देने के लिये बधाई स्वीकार करें आदर्णीय
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:18pm

आदरणीया, कुन्ती जी,  एक मां के कर्ज को संसार  के समस्त प्राणी मिलकर भी अदा नहीं कर सकते हैं।  मैनें तो मात्र मां के एहसास को बस रोशन भर किया है।   आपने अपने आशीष वचन में वह सब कुछ कह दिया जो एक पुत्र धर्म को करना चाहिए। आपकी श्रध्दा और दिशा को नतमस्तक नमन है और आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:04pm

आ0 कुशवाहा जी,  आपके स्नेह  और आशीष से मां के प्रति श्रध्दा को और अधिक बल मिला है।  आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by coontee mukerji on May 1, 2013 at 6:44pm

धन्य है आपकी कलम भी  , केवल जी , जो माँ  को श्रद्धा सुमन अर्पण  किये है .....एक माँ को  एक ही  सपूत काफ़ी है ./ सादार / कुंती .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2013 at 5:19pm

priy keval prasad ji 

sundar bhaav ,prastuti hetu sasneh badhai. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service