मृत्युंजयी
रणभेरी बज उठी प्रिय!,
मैं मस्तक तिलक लगाऊॅ।
भारत मां को स्वतंत्र कराया,
मिलकर सोलह श्रृंगार किया।
प्यारी सद्भावना देवी को,
मैं श्रध्दा सुमन चढ़ाऊॅ।।--- रणभेरी....
देश की खातिर जिये अभी तक,
क्षमा-दान सब उत्सर्ग किया।
आ गई परीक्षा की घड़ी,
मैं शौर्य गीत ही गाऊॅ ।।--- रणभेरी...
दुनियां में अमन चैन रखने को,
सीटीबीटी बहिष्कार किया ।
परमाणु सम्पन्न देशों को,
मैं ठेंगा ही दिखलाऊॅ।।--- रणभेरी...
विकास पथ पर हुए अग्रसर,
वैरी को़ क्यों कर भायेगा?
छेड़ दिया अघोषित युध्द,
मैं आप्रेशन विजय पर जाऊॅ।।-- रणभेरी...
शान्ति-शक्ति को बना चुनौती,
मूर्खता का परिचय दिया।
हमें इच्छा मृत्यु वर मिला,
मैं मृत्युंजयी कहलाऊॅ।।--- रणभेरी...
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 रक्ताले जी, जी! आपने बिलकुल सही कहा। यह गीत 1999 में कारगिल युध्द के समय लिखा था। आज के परिवेश में सही लगी तो पोस्ट कर दी। ’आप्रेशन विजय’ अभियान का नाम था। इसीलिए इसे जैसे का तैसा लिखा था। आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
विकास पथ पर हुए अग्रसर,
वैरी को़ क्यों कर भायेगा?
छेड़ दिया अघोषित युध्द,
मैं आप्रेशन विजय पर जाऊॅ।।-- रणभेरी...
आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, बहुत सुन्दर रचना दिल में जोश जगाती है. बहुत बहुत बधाई.हिंदी की रचनाओं में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से बचना उत्तम रहता है. जैसे इस पद्य में आपरेशन की जगह अभियान लिखा जाना अच्छा होता. सादर.
आ0 लड़ीवाला जी, आपके स्नेह और मातृभूमि के प्रति प्रेम व जोश को सादर नमन्। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
दिल में जोश भरे जज्बे की श्याही में भीगी कलम से लिखी रचना प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारे भाई श्री केवल प्रसाद जी
आ0 कुन्ती जी, जी मैम! हमारी शान्ति को सदा ही कमजोरी मानी गई है। इसका जवाब हमें देना ही चाहिए। आपके स्नेह और प्रसंशा के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 कुशवाहा जी, वन्दे मातरम्! आपके स्नेह के लिए हार्दिक आभार। सादर,
आ0 श्याम नारायण जी, आपके स्नेह और प्रसंशा के लिए हार्दिक आभार। सादर,
विकास पथ पर हुए अग्रसर,
वैरी को़ क्यों कर भायेगा?
छेड़ दिया अघोषित युध्द,
मैं आप्रेशन विजय पर जाऊॅ।।-- रणभेरी...
शान्ति-शक्ति को बना चुनौती,
मूर्खता का परिचय दिया।
हमें इच्छा मृत्यु वर मिला,
मैं मृत्युंजयी कहलाऊॅ।।............आज के परिवेश में बहुत सटिक बैठा है..... केवल प्रसाद जी ......../ सादर / कुंती
वंदे मातरम
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए …………….. |
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