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!!! प्यारी बेटी !!!


बेटी, सुनहरी धूप सी.....!
बेटी, नीम की छांव सी....!
बेटी, धन सी कामना...!
बेटी, कुल को तारना....!
बेटी, जीवन की आदि.अन्त....!
बेटी, मंदिर की साधु-संत....!
बेटी, गृहस्थ की पहली कड़ी.....!
बेटी, आनन्द की बेल चढ़ी......!
बेटी, दो कुटुम्ब की आधार-शान....!
बेटी, मधु-अमृत और सम्मान......!
बेटी सुख-दुःख की छाया.....!
बेटी, श्रृंगार की पेटी-माया...!
बेटी, सतरंगी इन्द्रधनुष...!
बेटी, सास की साजिश......!
बेटी, कोरा कागज ......!
बेटी, भव में जहाज.....!
बेटी, तेरा क्या?... हक है......?
यह पूछने वाले आप कौन है?


के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 8, 2013 at 8:52am

आ0 तनेजा जी,    जी!  जब एक मां अपना धर्म छोड़कर  स्वयं ही सास बनकर किसी बेटी की सांस रोक देती है तो इस अद्भुत आश्चर्य को साजिश नहीं तो और क्या कहूं?  आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 7:42pm

आदरणीय  Kewal Prasad जी,

बहुत बढ़िया रचना!

बधाई. 

एक पंक्ति-

 बेटी, सास की साजिश......!

???

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2013 at 8:59pm

आ0कुशवाहा जी, आपके स्नेह के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2013 at 11:22am

वास्तव में हक पूंछने का अधिकार नहीं 

शानदार प्रस्तुति 

बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2013 at 9:11am

आ0  रक्ताले सर जी,  आपका स्नेह और आशीष पाकर मन गदगद हो जाता है।  आपके स्नेह के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2013 at 8:47am

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बेटी के घर में होने के अर्थ को समग्र रूप से दर्शाने का सफल प्रयास. अंत में बेटी के हक़ पर सवाल उठाना सुखद लगा. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 5, 2013 at 9:28pm

आ0 लड़ीवाला जी, बेटी तो अनमोल असंख्य रत्नों की एक माला है। बेटी के पक्ष में आपका समर्थन उसके लिए सम्मान है। आपका स्नेह और आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 5, 2013 at 9:25pm

आ0 विजय निकोर जी, बेटी तो अनमोल असंख्य रत्नों की एक माला है। बेटी के पक्ष में आपका समर्थन उसके लिए सम्मान है। आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 5, 2013 at 9:22pm

आ0 मनोज जी, बेटी तो अनमोल असंख्य रत्नों की एक-एक माला है। बेटी के पक्ष में आपका समर्थन उसके लिए सम्मान है। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 5, 2013 at 9:14pm

आ0 कुन्ती जी, जी मैम! बेटी तो अनमोल असंख्य रत्नों की एक-एक माला है। आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,

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