For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढाई आखर प्याज का ........अरुण कुमार निगम

प्याजी दोहे.....

मंडी की छत पर चढ़ा, मंद-मंद मुस्काय
ढाई आखर प्याज का, सबको रहा रुलाय ||

प्यार जताना बाद में , ओ मेरे सरताज
पहले लेकर आइये, मेरी खातिर प्याज ||

बदल   गये   हैं   देखिये , गोरी  के  अंदाज
भाव दिखाये इस तरह,ज्यों दिखलाये प्याज ||

तरकारी बिन प्याज की,ज्यों विधवा की मांग
दीवाली  बिन दीप की   या   होली बिन भांग ||

महँगाई  के  दौर  में , हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)

Views: 923

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 3:38pm

वाह वाह आदरणीय गुरुदेव श्री बेहद सुन्दर प्याजी दोहावली रची है आपने, आनंद आ गया पढ़कर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

दाम बढ़ें हैं प्याज के, रुपया लुढ़का जाय.

बिन काटे नैना भरे, कट कर रही रूलाय..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 27, 2013 at 1:18pm

//प्यार जताना बाद में , ओ मेरे सरताज
पहले लेकर आइये, मेरी खातिर प्याज

महँगाई  के  दौर  में , हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज // वाह आदरणीय अरुण सर आपके प्याज़ी दोहों ने तो कमाल कर दिया बधाई कुबूल करें

Comment by रविकर on August 27, 2013 at 12:24pm

आदरणीय अरुण भैया-
हमें भी यह सन्देश मिला है-

ठेले बरबस खींचते, मन भर भर के प्याज |
पिया बसे परदेश में, यहाँ छिछोरे आज |


यहाँ छिछोरे आज, बड़ा सस्ता दे जाते |
रविकर नाम उधार, तकाजा करने आते |


आया है सन्देश, बड़े हो रहे झमेले |
जल्दी रुपये भेज, खड़े घर-बाहर ठेले -

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 7:51am

वाह अरुण जी....

प्यार भी ढाई आंखर का और रुलाये भी उसी ढाई आंखर प्रेम सा .

नाम सुनते आ गये आँखों में आंसू ...शायाद सासू माँ बहुत मानती हैं मुझे...

सुन्दर दोहे की बहुत बधाई आपको...!!

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 7:50am

Comment by vandana on August 27, 2013 at 7:47am

वाह सर ...बेहतरीन दोहे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2013 at 7:29am

कुमार भाई , लाजवाब दोहे ! प्याज़ की तो क़िस्मत संवार दी आपनी , प्याज़ पे पांच 2 दोहे , वाह !! बधाई !!

मंडी की छत पर चढ़ा, मंद-मंद मुस्काय
ढाई आखर प्याज का, सबको रहा रुलाय || वाह वा !!

Comment by Abhinav Arun on August 27, 2013 at 7:09am

महँगाई के दौर में , हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज ||

वाह आनंदित कर गयी प्याजावाली आ. अरुण जी सामयिक सशक्त कटाक्ष साधुवाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service