For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये माना चाल में धीमा रहा हूँ
मगर जीता वही कछुवा रहा हूँ ||

बुझाई प्यास कंकर डाल मैंने
तेरे बचपन का वो कौवा रहा हूँ ||

कभी बख्शी थी मेरी जान उसने
छुड़ाया शेर को,चूहा रहा हूँ ||

कुँये में शेर को फुसला के लाया
बचाई जान वो खरहा रहा हूँ ||

मेरे बचपन न फिर तू आ सकेगा
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ ||

आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट,विजय नगर,जबलपुर (मध्यप्रदेश)

[ओबीओ लाइव तरही मुशायरा-37 में याद ही नहीं रहा था कि अधिकतम दो गजलें ही प्रेषित की जा सकती हैं,मुझे तीन का ही ध्यान रहा. गलती से तीसरी गज़ल भी पोस्ट कर बैठा था. गलती के लिए क्षमा चाहता हूँ, वही गज़ल ब्लॉग में पोस्ट कर रहा हूँ]

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 1:43pm

आदरणीय अरुणभाईजी, आपको इस अंदाज़ में कहते देख कर बहुत खुशी हो रही है. ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब हुज़ूर !!!

Comment by वेदिका on August 8, 2013 at 4:46pm

कमाल है !!!

बचपन के सारे प्रेरक प्रसंगों को आपने बड़ी ही सहजता से दो दो पंक्तियों से शेअर में दर्शा दिया, और वह भी पूर्णता से...

कौतुक  भरी रचना है, क्या शब्द कहूँ, इतनी सुंदर और सजीव गज़ल, कभी यह गज़ल रचना भविष्य में पाठ्यक्रम में शामिल होगी तो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत मनोहारी होगी ...असीम शुभकामनाये आदरणीय !!

Comment by D P Mathur on August 3, 2013 at 10:30am

 आदरणीय निगम सर , गजल की प्रत्येक पंक्ति में सकारात्मकता भरी पड़ी है आपको हार्दिक बधाई !

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 2, 2013 at 2:55pm

आदरणीय गुरुदेव श्री सादर नमस्कार, कभी सोचा नहीं था बचपन में पढ़ी कहानियों का सार एक ग़ज़ल के रूप में पढ़ने को भी कभी मिल पायेगा. आपने इतनी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है कि क्या कहूँ कुछ कहते नहीं बनता. इस शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 2:15pm

उम्दा गजल प्रस्तुति के लिए बधाई श्री अरुण कुमार निगम जी 

Comment by विजय मिश्र on August 2, 2013 at 1:17pm
अरुणजी , निश्चित रूप से आपने छुटपन के यादों को स्मृति देने में हम सबकी सहायता कियी है और उन कथाओं का भी स्मरण कराया जो आज भी जीवन संदर्भ में प्रमाणिक हैं. अनेकानेक बधाई इस सुंदर सोच के लिए .
Comment by vandana on August 2, 2013 at 6:15am

बहुत बढ़िया सर सभी कहानियों का नायकत्व हासिल हो गया यहाँ ....विचार बहुत ही बढ़िया रहा 

Comment by Shyam Narain Verma on August 1, 2013 at 5:23pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Maheshwari Kaneri on August 1, 2013 at 1:05pm

बहुत बढ़िया ..अरुण कुमार जी..

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 1, 2013 at 12:52pm

बहुत खूब, आदरणीय अरुण जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service