प्याजी दोहे.....
मंडी की छत पर चढ़ा, मंद-मंद मुस्काय
ढाई आखर प्याज का, सबको रहा रुलाय ||
प्यार जताना बाद में , ओ मेरे सरताज
पहले लेकर आइये, मेरी खातिर प्याज ||
बदल गये हैं देखिये , गोरी के अंदाज
भाव दिखाये इस तरह,ज्यों दिखलाये प्याज ||
तरकारी बिन प्याज की,ज्यों विधवा की मांग
दीवाली बिन दीप की या होली बिन भांग ||
महँगाई के दौर में , हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
Comment
दीवाली बिन दीप की, या होली बिन भांग
जहाँ बाँधना देव-ध्वज, रहे प्याज हम टांग .......... जय-जय, आदरणीय.. .
बधाई व शुभकामनाएँ
हमे तो इन्तजार है कि इस बार भी प्याज में सरकार गिराने का दम है या नहीं ,वर्ना सब रोना बेकार हाहाहा
वैसे ये प्याजी दोहे पढ़कर मजा आ गया ,बधाई आपको ,कुछ और रुलाये तो सरकार गिराए ,शुभकामनायें
बहुत सुन्दर!
वाह | क्या प्याज का स्वाद चखाया है दोहे के माध्यम से, हार्दिक बधाई भाई अरुण जी | जन्माष्टमी की शुभकामनाए
प्याजी दोहे भा गए, मन मेरा मुसकाय,
बहुत दिनों के बाद भी, नहीं कही मिल पाय |
प्याज की सौगात मिले, सबकी है यह मांग
सरकारे सब मौन है, राजनीति का सांग |
वाह! बहुत खूब, सुंदर दोहावली पर हार्दिक बधाई आदरणीय अरुण जी
प्यार को छोड़ अब
ढूंढ रहे सब प्याज ,
हर घर मे होय रही
पुकार पाजी रे प्याज !!!!!!!!!
आदरणीय अरुण जी आपकी इस सुंदर दोहवाली ने मन मोह लिया ।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा
बहुत सुन्दर प्याजावाली प्रस्तुत की है आदरणीय अरुण निगम जी
पढ़ कर आनंद आ गया
प्याजों पर तो रुलाने का इलज़ाम है.. दोहावली नें हँसा हँसा कर प्याज के सर से यह इलज़ाम हटा दिया :))))) हाहाहा
बहुत बहुत बधाई
मंडी की छत पर भी और मंदी की छत पर भी .. बहुत सुन्दर दोहे ... हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
वाह, वाह! बहुत खूब! लाजवाब! आपको हार्दिक बधाई!
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