For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सारी रतिया जागकर मिलत खिलत बतियात
पलक पलक झपकत रही, नैन रहे लजियात 
नैन रहे लजियात, बेध कर उर मा बासै 
मैन मोय अकुलात,सोच कर उठि उठि सांसै         
कह सागर सुमनाय , प्रेम सौं  नहीं बिमारी 
लगै जो  एकौ  दांय , छुटे न उमर ये सारी 
आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 779

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashish Srivastava on September 3, 2013 at 8:09pm

श्री जितेन्द्र 'गीत' जी  : सादर आभार 

Comment by Ashish Srivastava on September 3, 2013 at 8:09pm

आ . Saurabh Pandey जी आपकी वाह , एक सफल प्रयास , साभार म


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 1:25am

प्रेम न बोलो रोग है,  प्रेम न  दैहिक   जोश 

प्रेम-भाव सुख-जीवनी, सहज सुलभ जो होश

कुण्डलिया पर बहुत सही प्रयास हुआ है.

शुभ-शुभ

Comment by Ashish Srivastava on August 28, 2013 at 11:52am

aadarniya जितेन्द्र 'गीत' Ji sarahna ke liye aabhar 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 10:59am

सुंदर कुंडली छंद प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष जी

Comment by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 10:49pm
सुजान जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साह वर्धन के लिए
Comment by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 10:48pm
annapurna bajpai ji . आदरणीय सराहना के लिए ह्रदय से आभार
Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:44pm

आ० आशीष जी सुंदर कुण्डलिया छंद की रचना हुई है बहुत बधाई । 

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 27, 2013 at 9:03pm
सारी रतिया जागकर मिलत खिलत बतियात
पलक पलक झपकत रही, नैन रहे लजियात
नैन रहे लजियात, बेध कर उर मा बासै
मैन मोय अकुलात,सोच कर उठि उठि सांसै
कह सागर सुमनाय , प्रेम सौं नहीं बिमारी
लगै जो एकौ दांय , छुटे न उमर ये सारी
आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
....................................जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.मुझे कुण्डली बहुत अच्छी लगती है कुल चार ही लिखी हैं ..आप से प्रेरित होकर अभी और प्रयास करता हूँ
Comment by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 1:25pm

रविकर  Ji punah aabhar ursaah badhane k liye 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
36 seconds ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
3 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
6 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
8 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
24 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
24 minutes ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
24 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय भाई लक्ष्मण जी  हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
26 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा है। सुझाव से यह निखर गयी है। इसका संज्ञान…"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई गजेंद्र जी, हार्दिक आभार।"
45 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service