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उसका रुमाल …..

टप,टप
टप,टप
अंधेरी रात का
गहरा सन्नाटा
बारिश के बाद
पेड़ों से गिरती बूंदों के
जमीन पर गिरने की आवाजें
सन्नाटे को तोड़ने का
अनवरत प्रयास कर रही थीं
और साथ ही प्रयास कर रही थी वो
अनगिनित बारिशों में
भीगी रातों की भीगी यादें
कहर ढाती बारिश का
तूफ़ान तो रुक जाता है
लेकिन तबाही का मंजर
दूर तक साथ जाता है
जाने सावन को
बीती यादों के साथ
बरसने में क्या मिलता है
खिड़की पर बैठी
सडक पर बहते पानी में
रोड लाईट की
झिलमिल करती परछाई में
पीछे छूटे पलों में
खुद को ढूंढ रही थी
वो स्पर्श,वो एहसास
वो साथ साथ जीने का विश्वास
क्षण भर में
जाने कहाँ खो गया
और मैं
खड़ी की खड़ी
देखती रह गयी
आँखों में सूनापन देकर जाती
निर्मोही ट्रेन को
उसका बाय बाय करता हाथ
दृष्टि से ओझल हो गया
और रह गया साथ मेरे
बस उसका दिया
एक सफेद गीला रुमाल
जिससे उसने कभी
मेरे अश्कों को
गालों पर आने से रोका था
रुमाल में लिपटी स्मृति
मेरी पलकों से आज
द्वन्द कर रही है
न जाने क्यूँ
अभी भी इस दिल को
उसके आने की आस बाकी है
उसका रुमाल मेरे अश्क पोंछेगा
ये विश्वास बाकी है,
ये विश्वास बाकी है,…….

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 908

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2014 at 7:56pm

बहुत बढ़िया वाह बधाई आपको

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 4, 2014 at 7:44pm

बहुत ही सुंदर ... रचना ... बधाई स्वीकार करे ... 

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:22pm

aa.Coontee Mukerji jee rachna par aapkee madhur prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:21pm

prm aadrneey Kavi Raj Bunedli jee rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik abhaar

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:20pm

aa.Shyam Narain Verma jee rachna par apkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by coontee mukerji on January 4, 2014 at 5:20pm

बहुत बहुत सुंदर भाव ....एक मीठी .कुछ कड़वी यादों में लिपटती एक अटूट विश्वास.....जो मोहब्बत को जिंदा किये हुए होते है.....आजकल के आपाधापी जीवन में ऐसा भीगा प्यार मिलता कहाँ है. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय. सादर

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:24pm

वाह वाह वाह,,,आदरणीय,,,बहुत सुन्दर रचना है,,बधाई आपको,,,,,,,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on January 4, 2014 at 1:15pm

जुदाई और ग़म का अहसास कराती अच्छी रचना , बहुत बहुत बधाई |

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