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मुहब्बतों के पैगाम ..........

मुहब्बतों के पैगाम .....

ये मुहब्बत भी
अजब शै है ज़माने में
उम्र गुज़र जाती है
समझने और समझाने में
कब हो जाती हैं सांसें चोरी
खबर ही नहीं होती
बरसों नहीं आती नींद
उनके इक बार मुस्कुराने में
डूबे रहते हैं पहरों
इक दूसरे के ख्यालों में
जाने गुज़र जाती शब् कैसे
इक दूसरे से बतियाने में
शब् जाती है तो
सहर आ जाती है
सहर क्या आती है
संग कहर ले आती है
वो लम्हे अंगार बन जाते है
जो संग शब् के गुज़र जाते हैं
राहे मुहब्बत में
कुछ ऐसे भी मुकाम आते हैं
जब दो जिस्म इक जान हो जाते हैं
इक दूसरे में फना
हर सांस हो जाती है
मख़मली अहसासों में
न हस्ती होती है
न नाम होते हैं
थरथराते लबों पे बस
मुहब्बतों के पैगाम होते हैं

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on February 5, 2014 at 7:50pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी रचना पर आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार । कृपया  अपना स्नेह बनाये रखें।  क्षमा चाहता हूँ नेट ठीक न होने के कारण मैं आपका आभार समय पर व्यक्त नहीं कर पाया। धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:41am

मुहब्बत को शब्द देने की कोशिश हुई है, आदरणीय,

हार्दिक धन्यवाद.. .

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2014 at 4:43pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on January 23, 2014 at 8:24pm

सुन्दर रचना आदरणीय! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2014 at 12:28pm

आदरणीय शिज्जू शकूर साहिब रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 8:12pm

आदरणीय सुशील सर इस गीत के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil Sarna on January 22, 2014 at 2:03pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त ' जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on January 22, 2014 at 2:00pm

आदरणीय प्रियंका सिंह जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:56am

आदरणीय सुशील सर प्रेम रस में डूबी सुन्दर पंक्तियाँ प्रेम मिलन और विरह में होने वाले उतार चढाव को सुन्दरता से पिरोया है आपने. मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:26pm

सुन्दर रचना ....खूब पिरोया अपने भावों को शब्दों में ....बधाई सर .....

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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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