For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन और दोहे -- ( अन्नपूर्णा बाजपेई )

1)  बंधन बांधो नेह का पुनि पुनि जतन लगाय । 

     चुन चुन मीत बनाइये खोटे जन बिलगाय ॥ 

2) प्रेम कुटुम्ब समाइए सागर नदी समाय ।

    ज्यों पंछी आकाश मे स्वतंत्र उड़ता जाय ॥ 

3) धोखा झूठ फरेब औ फैला भ्रष्टाचार । 

    फैली शासनहीनता  है पसरा व्यभिचार ॥ 

संशोधित 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 11:57pm

आदरणीय सौरभ जी आपने सही कहा शायद मै आ0 बृजेश जी के कहने का मतलब नहीं समझ पाई । आपका हार्दिक आभार अपने मार्ग दर्शन दिया । बल्कि जो चीज मैंने ध्यान नहीं दी वह आपने इंगित की है । सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2014 at 3:14am

आप आज की रचनाकार हैं. तो आज की भाषा बोलिये न दोहों में !  फिर, दोहों के माध्यम से क्या केवल उपदेश दिया जा सकता है ?

आपके पहले दोनों दोहे तो लगता है किसी गुरु जी का उपदेश पढ़ रहे हैं, वो भी चौदहवीं-पन्द्रहवीं सदी की भाषा में !

बृजेश भाई का भी यही कहना है उनकी टिप्पणी में, जिसे संभवतः आप समझ नहीं पायीं.

 

फिर इसे देखिये -

धोखा झूठ फरेब औ फैला भ्रष्टाचार ।

फैली शासनहीनता  है पसरा व्यभिचार.   

ओके.. ठीक है .. लेकिन, प्रश्न उठता है, तो ? धोखा, झूठ, फ़रेब, भ्रष्टाचार, व्यभिचार सब है, मान लिया. तो ? आदरणीया, आपका उक्त दोहा यहाँ मौन है. यानि यहाँ तथ्यात्मक बिम्ब न हो कर कुछ संज्ञायें हैं. इन संज्ञाओं से इंगित उभर कर आने चाहिए न.. मेरा ये कहना है.

विश्वास है, मैं स्पष्ट कर पाया, आदरणीया.

सादर शुभेच्छाएँ

Comment by annapurna bajpai on February 4, 2014 at 1:36am

आदरणीय सौरभ जी आपका पुनः आभार । यदि गुरु शिष्य की कमियों को सख्ती से नहीं बताएगा तो शिष्य भी मौज मे ही रहेगा । मेरे प्रयास को आपकी टिप्पणी रूप मे सराहना ही मिली है , मै आपकी कलम से वाह लिखवा ही लूँगी । ऐसा मेरा दृढ़ निश्चय है  । आप अपनी टिप्पणियों के माध्यम से मुझे स्नेह देते रहिए । सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2014 at 8:49pm

आपके प्रयास पर इतना कठिन लिखना उचित तो नहीं लेकिन आदरणीया .. दोहे नहीं रुचे ... .  :-(((

बृजेश भाई ने जो कहा है उसपर न केवल गंभीरता से सोचिये,  बल्कि दोहा छंद को शिल्प ही नहीं कथ्य के हिसाब से भी समझने का प्रयास कीजिये.

मुझे खूब मालूम है कि आप आजकल अत्यंत गहन प्रयास कर रही हैं. अतः मेरा कुछ सार्थक कहना धर्म हो जाता है.

 

हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 1, 2014 at 4:13pm

बहुत ही सुंदर दोहे है, भावपूर्ण इस अभिव्यक्ति के लिये सादर बधाई

Comment by annapurna bajpai on January 31, 2014 at 9:09pm

आ0 कुंती दीदी उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार । यूं ही उत्साह बढ़ती रहिए । 

Comment by coontee mukerji on January 31, 2014 at 7:50pm

बहुत सुंदर दोहे. आपकी रचनाएँ दिन प्रति दिन एक स्तर उपर जा रही है. हार्दिक बधाई अन्नपूर्णा जी.

Comment by annapurna bajpai on January 31, 2014 at 1:32am

आ0 बृजेश जी यहाँ पर चुनि चुनि को पुनि पुनि के साथ लिया है यदि ये गलत है तो बदल दूँगी । सादर 

Comment by Saarthi Baidyanath on January 30, 2014 at 9:54pm

बहुत ही प्रभावी दोहे ...बहुत बढ़िया ! नमन सहित 

Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 9:41pm

सुन्दर दोहे! आपको हार्दिक बधाई!

'चुनि चुनि' को यदि 'चुन चुन' लिखा जाता तो क्या नुकसान होता! शब्द तो अपनी जेब से खर्च करने होते हैं, तो बिना सोचे-समझे खर्च क्यों करना. 

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
9 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
10 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
10 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
10 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
10 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
10 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
10 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
10 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service