For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत : पड़े रहेंगे बंद कहीं पर शादी के गहने

घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा

तन मन पर पहने

पड़े रहेंगे बंद कहीं पर

शादी के गहने

 

चिल्लाते हैं गाजे बाजे

चीख रहे हैं बम

जेनरेटर करता है बक बक

नाच रही है रम

 

गली मुहल्ले मजबूरी में

लगे शोर सहने

 

सब को खुश रखने की खातिर

नींद चैन त्यागे

देहरी, आँगन, छत, कमरे सब

लगातार जागे

 

कौन रुकेगा दो दिन इनसे

सुख दुख की कहने

 

शालिग्राम जी सर पर बैठे

पैरों पड़ी महावर

दोनों ही उत्सव की शोभा

फिर क्यूँ इतना अंतर

 

मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से

दर्द लगा बहने

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 7, 2014 at 7:28pm

बहुत ही सुंदर दस नवगीत पर बधाई

Comment by बृजेश नीरज on February 7, 2014 at 6:53pm

सुन्दर नवगीत आदरणीय! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2014 at 2:41pm

सुन्दर नव विषय पर नवगीत बहुत बढ़िया धर्मेन्द्र जी बधाई आपको 

Comment by coontee mukerji on February 6, 2014 at 11:46pm

बहुत गहरी बात कही है.....

शालिग्राम जी सर पर बैठे

पैरों पड़ी महावर

दोनों ही उत्सव की शोभा

फिर क्यूँ इतना अंतर.....आपको हार्दिक बधाई.

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 6, 2014 at 2:43pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , सुन्दर नवगीत के लिये बधाई ॥

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 5, 2014 at 11:46pm

नव गीत ...............और वो भी नए अंदाज में........अच्छा लगा.................

Comment by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 11:15pm

बहुत सुंदर रचना , कितनी सच है ये बात ' सब को खुश रखने की खातिर नींद चैन त्यागे देहरी , आँगन , छत , कमरे सब लगातार जागे ' खास कर जगहों पर जहां गेस्ट हाउस आस पास बने है । बधाई आपको 

Comment by कल्पना रामानी on February 5, 2014 at 10:41pm

सब को खुश रखने की खातिर

नींद चैन त्यागे

देहरी, आँगन, छत, कमरे सब

लगातार जागे

 

कौन रुकेगा दो दिन इनसे

सुख दुख की कहने.....गूढ भावों की  बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आदरणीय धर्मेन्द्र जी, इस नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
11 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
16 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
19 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
33 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
39 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
18 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service