For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा...........पूजा सामाग्री का औचित्य

दोहा...........पूजा सामाग्री का औचित्य

रोली पानी मिल कहें, हम से है संसार।
सूर्य सुधा सी भाल पर, सोहे तेज अपार।।1

चन्दन से मस्तक हुआ, शीतल ज्ञान सुगन्ध।
जीव सकल संसार से, जोड़े मृदु सम्बन्ध।।2

अक्षत है धन धान्य का, चित परिचित व्यवहार।
माथे लग कर भाग्य है, द्वार लगे भण्डार।।3

हरी दूब कोमल बड़ी, ज्यों नव वधू समान।
सम्बन्धों को जोड़ कर, रखती कुल की शान।।4

हल्दी सेहत मन्द है, करती रोग-निरोग।
त्वचा खिले लग देह पर, वैवाहिक संयोग।।5

कच्चा धागा प्रेम का, धरे रक्ष का भाव।
बांध कलार्इ पर रखें, शदियों तक सम भाव।।6

दूध दही घी शहद गुड़, तुलसी पत्र विधान।
पंचामृत नित बांटना, गंगा नीर समान।।7

इलायची औ लौंग से, कटे मानसिक रोग।
सेनुर मन संयम करे, यश श्रध्दा का योग।।8

जीव देव के मध्य में, नहीं अहम का भाव।
मेरा जो, वह आपका, मन में बढ़े प्रभाव।।9

जो तेरा मेरा नहीं, मिले मुझे वह भाग्य।
भाग्य अंश भी दान कर, प्राप्त करूं सौभाग्य।।10

के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 5, 2014 at 7:09pm

आ0 सौरभ सर जी,  सादर प्रणाम!  आवश्यक बिन्दुओं पर आपका अतिमहत्वपूर्ण मार्गदर्शन पाकर मैं कृत्य कृत्य हुआ। आपका हार्दिक आभार। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 1:39pm

भाई केवल प्रसादजी, आपके इन दोहों को देख-पढ़ कर मैं आनन्दातिरेक में हूँ और हृदय की अतल गहराइयों से आपको बार-बार बधाइयाँ दे रहा हूँ. आपका प्रयास कथ्य और तथ्य दोनों से समृद्ध है. आप वाकई अपनी कई रचनाओं से चकित कर देते हैं. यह प्रस्तुति भी उन्हीं चमत्कारी रचनाओं में से है.

हाँ, इनमें से कुछ दोहों को तनिक और घुमाव देना चाहता हूँ. विश्वास है आप अन्यथा नहीं लेंगे -

हल्दी सेहत मन्द है, करती रोग-निरोग।  .... रोग और निरोग के मध्य हाइफन न लगायें .. वैसे देह निरोग अधिक उचित होगा
त्वचा खिले लग देह पर, वैवाहिक संयोग।।5 ....


कच्चा धागा प्रेम का, धरे रक्ष का भाव।
बांध कलार्इ पर रखें, शदियों तक सम भाव।।6....   सदियों सही शब्द होगा

दूध दही घी शहद गुड़, तुलसी पत्र विधान।.............. दूध दही घी गुड़ शहद  कीजिये न.
पंचामृत नित बांटना, गंगा नीर समान।।7

इलायची औ लौंग से, कटे मानसिक रोग।................. कटे को मिटे होने से भाव सार्थकता अधिक हो जायेगी.
सेनुर मन संयम करे, यश श्रध्दा का योग।।8............. सही शब्द श्रद्धा है

जीव देव के मध्य में, नहीं अहम का भाव।............  नहीं अहम का ताव  ..हो तो अर्थ और मुखर होगा.
मेरा जो, वह आपका, मन में बढ़े प्रभाव।।9.........  यही नमन का भाव .. ऐसा करने से नमन के भाव और इसकी प्रक्रिया को भी छंद मिल जायेगा

अन्य दोहे अत्यंत सार्थक और संग्रहणीय हैं
ऐसा ही प्रयास करें ..
हार्दिक आभार

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 20, 2014 at 8:38pm

आ0 अन्नपूर्णा जी, आशुतोंष भार्इजी व जितेन्द्र भार्इजी आप सभी बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2014 at 7:56pm

दूध दही घी शहद गुड़, तुलसी पत्र विधान।
पंचामृत नित बांटना, गंगा नीर समान।।7

इलायची औ लौंग से, कटे मानसिक रोग।
सेनुर मन संयम करे, यश श्रध्दा का योग।।8...आदरणीय केवल जी ..सभी दोहे सन्देश परक पर इन दो दोहों में दी गयी जानकारी अत्यंत कम की है ..सादर बधाई के साथ 

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 8:11pm

बहुत बढ़िया दोहे ,बधाई आपको आ0 केवल भाई जी । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 12, 2014 at 11:47pm

एक से बढ़कर एक सुंदर सात्विक दोहे, हार्दिक बधाई आदरणीय केवल जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 12, 2014 at 7:38pm

आ0 श्याम नारायण भार्इ जी,   सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 12, 2014 at 7:38pm

आ0  सरिता जी,   सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 12, 2014 at 7:38pm

आ0 कुन्ती जी,   सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Shyam Narain Verma on February 12, 2014 at 4:54pm
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय  । हार्दिक बधाई आपको .............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
6 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
6 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
7 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service