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सात दोहे – '' रिश्ते ''

*******    ******

नाराजी जो है कहीं , मिल के कर लो बात

खामोशी  देती  रही , हर  रिश्ते  को मात

 

रिश्तों  को  भी चाहिये , इन्जन जैसे तेल

बिना  तेल  देखे बहुत , झटके खाते मेल                            

 

तेरा  घोड़ा  तेज़  है , माना  मेरा  सुस्त

देखो  रिश्ता  हो  गया , पहले जैसे चुस्त

 

तू  माने  खुद को बड़ा , तो मैं भी हूँ शेर

बढ़ने  में  अब  दूरियाँ , नहीं लगेगी  देर

 

आपस की  कमियाँ भरें , यारी की  ये रीत

यही बढ़ाती  है  सदा , हर  नाते  में प्रीत

 

हाथ मिला के कब हुआ, मन से मन का मेल

ये भावों की बात है , ये अन्दर का खेल

 

मैं जैसा भी हूँ अभी , जो कर ले स्वीकार

उसकी सारी ग़लतियों, से मुझको भी प्यार   

***********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 9, 2014 at 8:25am

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , दोहों की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by vandana on March 9, 2014 at 6:43am

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय और बहुत२ बधाई इस माह की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में इस रचना के चयनित होने पर 

Comment by नादिर ख़ान on March 8, 2014 at 2:52pm

हाथ मिला के कब हुआ, मन से मन का मेल

ये भावों की बात है , ये अन्दर का खेल

आदरणीय गिरिराज जी खूबसूरत विचारों से सुसज्जित उत्तम दोहे ....

सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत बधाई ...

Comment by vijay nikore on March 8, 2014 at 7:32am

रिश्तों के लगाव और तनाव पर  अच्छा प्रकाश डाला है आपने। बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 7:10pm

आदरणीया प्राची जी , दोहों आपका अनुमोदन मिला तो सच ! बहुत खुशी हुई ॥ आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 7:08pm

आदरणीय बड़े भाई , दोहों की सराहना के लिये आपका आभार ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 5, 2014 at 9:33am

रिश्तों और दोस्ती में आपसी अपनत्व के तार जिन अहसासों से जुड़े होते हैं उनकी नजाकत पर और अर्थ पर प्रकाश डालते सुन्दर दोहे रचे हैं आ० गिरिराज भंडारी जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 2, 2014 at 1:03pm

पारिवारिक ,सामाजिक एवं आपसी रिश्तों को लेकर लिखे गये सुंदर दोहों की हार्दिक बधाई छोटे भाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2014 at 6:29pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , दोहों की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2014 at 6:27pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई के लिये  तहे दिल से शुक्रिया ॥

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